उर्मिला का बलिदान

उर्मिला का बलिदान 

रामायण का नाम आते ही भगवान श्री राम और माता सीता का दृश्य हमारी नजरों के सामने घूम जाता है। इसके आगे हम सभी को रामायण के मुख्य किरदार के नाम याद आते हैं, जैसे- लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न, हनुमान, बाली, सुग्रीव, कौशल्या, सुमित्रा, कैकई, मंदोदरी, यहां तक कि सबरी परंतु शायद ही कोई उर्मिला के बारे में ज्यादा जानता होगा। उर्मिला ने जो बलिदान दिया शायद ही ऐसा कोई स्त्री कर पाए।

उर्मिला का बलिदान

उर्मिला माँ सीता की छोटी बहन और प्रभु राम के छोटे भाई लक्ष्मण की पत्नी थीं। उन्हें माँ सीता को समर्पित बताया गया है, क्योंकि लक्ष्मण राम को समर्पित थे। जब लक्ष्मण वनवास में भगवान्रा श्री राम और माता सीता के साथ जाने को तैयार हुए, तो उर्मिला भी उनके साथ जाने के लिए तैयार थी, लेकिन वह हिचकिचाए और उन्हें अपने वृद्ध माता-पिता की देखभाल के लिए अयोध्या में ही रहने के लिए कहा। 

किवदंतियों के अनुसार वनवास के इन चौदह वर्षों के दौरान लक्ष्मण, राम और सीता माता की रक्षा करने के लिए कभी नहीं सोए। वनवास की पहली रात में, जब राम और सीता सो रहे थे, तब लक्ष्मण ने निंद्रा देवी से अनुरोध किया कि वे उन्हें नींद की आवश्यकता न होने का वरदान दें। देवी ने उससे कहा कि वह उसकी इच्छा पूरी कर सकती हैं, लेकिन कोई और उनकी जगह सो जाना होगा। लक्ष्मण को आश्चर्य हुआ कि क्या उनकी जगह उनकी पत्नी सो सकती है। यह सुनकर निद्रा ने उर्मिला से इस सम्बन्ध में पूछा, तो उर्मिला ने सहर्ष यह कार्य स्वीकार कर लिया। उर्मिला इस अद्वितीय त्याग के लिए उल्लेखनीय हैं, जिसे उर्मिला निद्रा कहा जाता है।

एक अन्य कथा के अनुसार, यह कहा जाता है कि जब लक्ष्मण उर्मिला को अपने वनवास में राम के साथ जाने के अपने फैसले की सूचना देने आए थे, तो उन्होंने रानी के रूप में कपड़े पहने थे। लक्ष्मण उससे क्रोधित हो गए और उसकी तुलना कैकेयी से की। लक्ष्मण ने कहा तुम माता कैकई से भी बदतर हो, तुम्हें अपने पति के साथ से ज्यादा महल का ऐशो-आराम पसंद है। मैं तुम्हें अब अपनी पत्नी स्वीकार नहीं करता और हमारा ये पवित्र बंधन टूट गया है। उर्मिला नहीं चाहती थी कि भाई-भाभी की सेवा करते हुए कभी भी लक्ष्मण को उनकी याद आए। इसलिए उर्मिला ने ये सब किया ताकि लक्ष्मण को उनसे नफरत हो जाए और वो अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित कर सकें। 

देवी उर्मिला त्याग और समर्पण की अतुलनीय प्रतिमूर्ति थीं। 

13 comments:

  1. उर्मिला जितना त्याग रामायण के किसी अन्य किरदार का नहीं। नारी शक्ति को नमन।

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  2. जय श्री राम

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  3. पवन कुमारApril 4, 2023 at 5:51 PM

    स्त्रियाँ जितना त्याग करती है जितना सहती है
    उतना शायद ही पुरूष सहन कर पाएंगे । वैसे
    रामायण में तो त्याग पुरुषों ने भी कम नही
    किया है। उर्मिला तो त्याग और बलिदान की
    देवी है। वैसी महिला न पहले कभी हुई और
    न आज है । रामायण हमे यही तो सिखलाती
    है कि जहां हर स्त्री को देवी रूप में देखा जाता
    है ।आज के लोगों को रामायण से शिक्षा लेनी
    चाहिये लेकिन दुर्भाग्य ये है कि आज के तथाकथित निहित राजनीतिक स्वार्थी लोग
    इस पर भी प्रश्नचिन्ह लगा रहे हैं।
    🌹🙏हे राम इनको सद्बुद्धि दें🙏🌹

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  4. रामायण में स्त्री और पुरुष दोनों ने त्याग और समर्पण किया है। परिवार और भाइयों का प्रेम भी है और समर्पण भी। जहां एक भाई, भाई भाभी की रक्षा के लिए पत्नी, परिवार और राज सुख सब कुछ छोड़ के वन चल पड़ता है राज्य में रहकर सारे सुख सुविधाओं का त्याग कर देता है।

    रामायण से हमें त्याग, बलिदान, प्रेम और समर्पण की शिक्षा मिलती है।

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  5. Jai shree ram

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