महादेवी वर्मा || Mahadevi Verma ||

महादेवी वर्मा

देखने में जितनी ही सादा सरल व्यक्तित्व, उतनी ही उच्च प्रतिभा। महादेवी वर्मा (Mahadevi Verma), यह नाम किसी भी परिचय का मोहताज नहीं। छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हिंदी भाषा की महान कवयित्री, महादेवी वर्मा जिन्हें हिंदी की सबसे सशक्त कवयित्रीयों में से एक होने के गौरव प्राप्त है। आधुनिक हिंदी की सबसे सशक्त कवयित्री होने के कारण उन्हें "आधुनिक मीराबाई" के नाम से भी जाना जाता है।

महादेवी वर्मा || Mahadevi Verma ||
महादेवी वर्मा का जन्म 26 मार्च 1906 को फर्रुखाबाद में हुआ था। 80 साल की उम्र में उनकी मृत्यु 11 सितंबर 1987 में प्रयागराज में हुई। महादेवी वर्मा जी का जन्म उस समय हुआ था जब भारत गुलामी के दौर से गुजर रहा था और महादेवी वर्मा एक ऐसी कवयित्री थीं, जिन्होंने भारत की गुलामी और आजदी दोनों ही देखी, जिसकी छाप उनके साहित्य में नजर आती है। ना केवल उनका काव्य अपितु उनके समाज सुधार के कार्य और महिलाओं के प्रति चेतना भावना से ओतप्रोत रचनाएं भी महादेवी वर्मा ने लिखे हैं।

महादेवी वर्मा का जीवन परिचय

महादेवी वर्मा का जन्म उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में 26 मार्च 1906 को हुआ था। उनके परिवार में लगभग 200 वर्षों या 7 पीढ़ियों के बाद पुत्री का जन्म हुआ था। इस कारण जब यह पैदा हुईं तब इनके बाबा बांके बिहारी जी खुशी से झूम उठे और इन्हें घर की देवी मानते हुए इनका नाम महादेवी रख दिया। 

महादेवी वर्मा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मिशन स्कूल इंदौर से की और उन्होंने चित्रकला, संस्कृत और अंग्रेजी की पढ़ाई घर पर अध्यापकों द्वारा पूरी की। 1916 में उनके बाबा श्री बांके बिहारी जी ने इनका विवाह बरेली के नवाबगंज कस्बे के एक निवासी श्री स्वरूप नारायण वर्मा से कर दी। विवाह के कारण इनकी शिक्षा कुछ दिन तक स्थगित रही, परंतु विवाह उपरांत महादेवी जी ने 1919 में क्रास्थवेट कॉलेज इलाहाबाद में प्रवेश लिया और कॉलेज के छात्रावास में रहने लगीं। वह पढ़ाई में बहुत ही तेज थी, इसीलिए उन्होंने 1921 में आठवीं कक्षा में प्रांत भर में प्रथम स्थान प्राप्त किया था और यहीं से उनके काव्य जीवन की शुरुआत भी हुई। 

7 वर्ष की अवस्था में ही इन्होंने कविता लिखना प्रारंभ कर दिया था। 1925 में जब तक उन्होंने हाईस्कूल पास की तब तक वह बहुत ही सफल कवयित्री के रूप में प्रसिद्ध हो चुकी थीं। 1932 में इन्होंने प्रयागराज विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर किया और इनकी दो कविता संग्रह रश्मि और विहार इस समय तक प्रकाशित हो चुकी थीं। 
महादेवी वर्मा || Mahadevi Verma ||

वैवाहिक जीवन

सन् 1916 में उनके बाबा श्री बाँके विहारी ने इनका विवाह बरेली के पास नबाव गंज कस्बे के निवासी श्री स्वरूप नारायण वर्मा से कर दिया, जो उस समय दसवीं कक्षा के विद्यार्थी थे। श्री वर्मा इण्टर करके लखनऊ मेडिकल कॉलेज में बोर्डिंग हाउस में रहने लगे। महादेवी जी उस समय क्रास्थवेट कॉलेज इलाहाबाद के छात्रावास में थीं। श्रीमती महादेवी वर्मा को विवाहित जीवन से विरक्ति थी। कारण कुछ भी रहा हो पर श्री स्वरूप नारायण वर्मा से कोई वैमनस्य नहीं था। सामान्य स्त्री-पुरुष के रूप में उनके सम्बन्ध मधुर ही रहे। दोनों में कभी-कभी पत्राचार भी होता था। यदा-कदा श्री वर्मा इलाहाबाद में उनसे मिलने भी आते थे। श्री वर्मा ने महादेवी जी के कहने पर भी दूसरा विवाह नहीं किया। महादेवी जी का जीवन तो एक संन्यासिनी का जीवन था। उन्होंने जीवन भर श्वेत वस्त्र पहना, तख्त पर सोईं और कभी शीशा नहीं देखा। सन् 1966 में पति की मृत्यु के बाद वे स्थायी रूप से इलाहाबाद में रहने लगीं। 

उन्होंने अपने जीवन का अधिकांश समय उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद नगर में बिताया। 11 सितम्बर 1987 को इलाहाबाद में रात 9 बजकर 30 मिनट पर उनका देहांत हो गया।

महादेवी वर्मा को मिली प्रमुख पुरस्कार और सम्मान

  1. महादेवी वर्मा को 1943 में मंगलाप्रसाद पारितोषिक भारत भारती के लिए मिला।
  2. महादेवी वर्मा को 1952 में उत्तर प्रदेश विधान परिषद के लिए मनोनीत भी किया गया।
  3. 1956 में भारत सरकार ने साहित्य की सेवा के लिए इन्हें पद्म भूषण भी दिया।
  4. महादेवी वर्मा को मरणोपरांत 1988 में पद्म विभूषण पुरस्कार दिया गया।
  5. महादेवी वर्मा को 1969 में विक्रम विश्वविद्यालय, 1977 में कुमाऊं विश्वविद्यालय, नैनीताल, 1980 में दिल्ली विश्वविद्यालय तथा 1984 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी ने इनको डी.लिट (डॉक्टर ऑफ लेटर्स) की उपाधि दी।
  6. महादेवी जी को 1934 में नीरजा के लिए सक्सेरिया पुरस्कार दिया गया।
  7. 1942 में स्मृति की रेखाएं के लिए द्विवेदी पदक दिया गया।
  8. यामा के लिए महादेवी वर्मा को ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया गया।
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mahadevi Verma

The simpler the personality, the higher the talent. Mahadevi Verma, this name does not need any introduction. Mahadevi Verma, one of the four major pillars of the Chhayavadi era, the great poetess of Hindi language, who has the distinction of being one of the most powerful poetesses of Hindi. Being the most powerful poetess of modern Hindi, she is also known as "modern Mirabai".
  महादेवी वर्मा || Mahadevi Verma ||
Mahadevi Verma was born on 26 March 1906 in Farrukhabad. He died at the age of 80 on 11 September 1987 in Prayagraj. Mahadevi Verma ji was born at a time when India was going through a period of slavery and Mahadevi Verma was such a poetess who saw both India's slavery and freedom, whose impression is visible in her literature. Mahadevi Verma has written not only his poetry but also his works of social reform and compositions full of consciousness towards women.

Biography of Mahadevi Verma

Mahadevi Verma was born on 26 March 1906 in Farrukhabad, Uttar Pradesh. A daughter was born in their family after about 200 years or 7 generations. Because of this, when she was born, her Baba Banke Bihari ji was overjoyed and considering her as the goddess of the house, named her Mahadevi.

Mahadevi Verma did her early education from the Mission School, Indore and completed her painting, Sanskrit and English studies at home from teachers. In 1916, her Baba Shri Banke Bihari ji got her married to Shri Swaroop Narayan Verma, a resident of Nawabganj town of Bareilly. Due to marriage, her education was postponed for a few days, but after marriage, Mahadevi ji took admission in Crosthwaite College, Allahabad in 1919 and started living in the hostel of the college. She was very bright in studies, that's why in 1921, she got the first position in the eighth grade across the province and from here her poetic life also started.
महादेवी वर्मा || Mahadevi Verma ||
At the age of 7, he started writing poetry. By the time she graduated high school in 1925, she had become a very successful poet. In 1932, he did his post graduation from Prayagraj University and his two poetry collections Rashmi and Vihar had been published by this time.

married life

In 1916, her father Mr. Banke Vihari got her married to Mr. Swaroop Narayan Verma, a resident of Nabavganj town near Bareilly, who was then a student of class X. Mr. Verma started living in the boarding house in Lucknow Medical College after entering. Mahadevi ji was at that time in the hostel of Crasthwaite College, Allahabad. Mrs. Mahadevi Verma was disenchanted with married life. Whatever may have been the reason, but there was no enmity with Shri Swaroop Narayan Verma. As a normal man and woman, their relationship remained sweet. Sometimes there was also correspondence between the two. Occasionally Mr. Verma used to come to meet him in Allahabad. Mr. Verma did not remarry even on the advice of Mahadevi ji. Mahadevi ji's life was the life of a sannyasini. He wore white clothes throughout his life, slept on a cot and never saw a mirror. After the death of her husband in 1966, she started living permanently in Allahabad.

He spent most of his life in Allahabad city of Uttar Pradesh. He died on September 11, 1987 in Allahabad at 9.30 pm.
महादेवी वर्मा || Mahadevi Verma ||

Mahadevi Verma received major awards and honors

  1. Mahadevi Varma received the Mangalaprasad Award in 1943 for Bharat Bharati.
  2. Mahadevi Verma was also nominated to the Uttar Pradesh Legislative Council in 1952.
  3. In 1956, the Government of India also gave him the Padma Bhushan for his service to literature.
  4. Mahadevi Verma was posthumously awarded the Padma Vibhushan in 1988.
  5. Vikram University in 1969, Kumaun University, Nainital in 1977, Delhi University in 1980 and Banaras Hindu University, Varanasi in 1984 conferred D.Lit (Doctor of Letters) on Mahadevi Verma.
  6. Mahadevi ji was given the Sakseria Award in 1934 for Neerja.
  7. In 1942, the Dwivedi Medal was given for the lines of memory.
  8. Jnanpith Award was given to Mahadevi Verma for Yama.

14 comments:

  1. पवन कुमारMarch 26, 2023 at 2:53 PM

    सादा जीवन उच्च विचार महादेवी वर्मा जी
    को महान बनाती है। भारत की गुलामी और आज़ादी दोनों उन्होंने देखी थी । उनके समाज सुधार के कार्य और महिलाओं के प्रति चेतना भावना से ओतप्रोत अनेक रचनाएं महादेवी वर्मा ने लिखे हैं। ऐसे प्रतिभा के धनी व्यक्तित्व को नमन है🙏🙏🙏

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  2. महादेवी वर्मा जी की जन्म तिथि शायद गलत दी गई है।कृपया ब्लॉग में सुधारें,संभवतः 1906 होनी चाहिए। उनकी व्यक्तित्व तथा कृतित्व के लिए शत शत नमन।

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    1. सुधार के लिए धन्यवाद सर..

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  3. संजय कुमारMarch 27, 2023 at 2:16 AM

    🙏🙏🙏श्री महादेवी वर्मा जी को कोटि कोटि नमन 🙏🙏🙏💐💐
    🙏हम भारतीय समाज के प्रति उनके योगदान के लिए सदैव आभारी रहेंगे 🙏
    🙏🙏🙏श्री महादेवी वर्मा जी की जीवनी से अवगत कराने के लिए आप का बहुत बहुत धन्यवाद 💐💐

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  4. हिंदी की महान कवयित्री महादेवी वर्मा के जीवन से परिचय कराता सुंदर आलेख ! साधुवाद!

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  5. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 28 मार्च 2023 को साझा की गयी है
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. "पांच लिंकों का आनंद" पर इस रचना को साझा करने के लिए आपका हार्दिक आभार...

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  6. श्री महादेवी वर्मा को कोटि कोटि नमन 🙏

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