सनातन नववर्ष संवत्सर २०८०
सनातन नववर्ष चैत्र माह की शुक्ल प्रतिपदा (प्रथम) तिथि को मनाया जाता हैं। अंग्रेजी कैलेंडर 2023 के अनुसार २१ मार्च को रात्रि १० बजकर ५३ मिनट पर चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि आरंभ होगी तथा २२ मार्च को नववर्ष का प्रथम दिवस है। सनातन नववर्ष को नव संवत्सर, वर्ष प्रतिपदा, विक्रम संवत वर्षारंभ, युगादि आदि नामों से भी जाना जाता हैं। वैदिक पंचांग गणना के अनुसार नव संवत्सर २०८० का नाम पिंगल है, वर्ष के आरंभ में 'नल' नाम का संवत्सर रहेगा और पिंगल का प्रभाव २४ अप्रैल से आरंभ होगा। ज्योतिष गणना के अनुसार, सनातन नववर्ष का प्रथम दिन जिस वार पर पड़ता है पूरा वर्ष उस ग्रह का स्वामित्व माना जाता हैं। नववर्ष २०८० बुधवार से आरंभ हो रहा है, ऐसे में बुध ग्रह इस पूरे वर्ष के स्वामी मानें जाएंगे।
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का ऐतिहासिक महत्व
२. चारों युग सत, त्रेता, द्वापर, कलि का प्रथम दिन
३. चैत्र मास नवरात्रि का प्रथम दिन
४. रामायण काल में प्रभु श्री राम और महाभारत काल में पांडव युधिष्ठिर का राज्याभिषेक हुआ
५. महर्षि गौतम जंयती
६. सम्राट विक्रमादित्य ने अपने राज्य की स्थापना की तथा वर्ष ५७ ईसा पूर्व में विक्रम संवत (पंचांग) आरंभ किया था।
विक्रम संवत = ईस्वी वर्ष + ५७
७. सम्राट शालिवाहन या कुषाण शासक कनिष्क द्वारा वर्ष ७८ ईस्वी में शक संवत (पंचांग) आरंभ किया गया। अंग्रेजों से स्वतंत्रता पश्चात भारत सरकार ने शक संवत (पंचांग) को भारत का आधिकारिक राष्ट्रीय कैलेंडर स्वीकार किया।
शक संवत = ईस्वी वर्ष - ७८
८.सिखों के द्वितीय गुरू श्री अंगद देव जी का जन्म दिवस
९. झूलेलाल जयंती / चेटीचंड
सिंध राज्य में इस्लामी आक्रांता मिरखशाह का शासन था और वह गैर मुस्लिमों पर बहुत अत्याचार करता था, एक दिन उसने गैर मुस्लिमों को इस्लाम में परिवर्तित होने का आदेश जारी किया। सिंध के गैर मुस्लिमों ने ४० दिनों तक कठिन जप, तप और साधना की। तब सिंधु नदी से जल देवता वरुण एक विशाल मत्स्य पर बैठे हुए झूलेलाल रुप में प्रकट हुए और जनता को आश्वस्त किया कि वह जन्म लेकर मिरखशाह के अत्याचारों से मुक्ति दिलाएंगे।
१०. महर्षि दयानंद सरस्वती द्वारा आर्य समाज की स्थापना
सनातन नववर्ष का प्राकृतिक महत्व
१. वसंत ऋतु का आरंभ वर्ष प्रतिपदा से होता हैं जो उल्लास, उमंग, प्रसन्नता से पूर्ण तथा चारों दिशाओं में पुष्पों की सुगंध भरी होती हैं।
२. नक्षत्र शुभ स्थिति में होते हैं अर्थात किसी भी कार्य को आरंभ करने के लिए शुभ मुहूर्त होता है।
३. वर्ष प्रतिपदा चंद्रमा की कला का प्रथम दिवस है। जीवन के मुख्य आधार औषधियों और वनस्पतियों को रस चंद्रमा ही प्रदान करता है।
४. उपज पकने का समय अर्थात किसान के परिश्रम का फल मिलने का समय।
सनातन नववर्ष के अवसर पर लोग एक दूसरे को तथा परिचित संबंधियों को नववर्ष की शुभकामनाएं एवं बधाइयां देते हैं। इस दिन घरों, प्रतिष्ठानों, पूजा स्थलों पर रंगोली, ऐपण, पत्तों की वंदनवार से सजाया जाता है। घरों की छत पर ध्वजारोहण होता है। इस दिन कुछह लोग पीले या भगवा वस्त्र धारण करते हैं। यह दिन ईश्वर का स्मरण करने का तथा माता पिता, गुरुजनों आदि का आशीर्वाद प्राप्त करने का है।
इस दिन विभिन्न सांस्कृतिक, धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस दिन समाज की भलाई के लिए भी कुछ अवश्य करना चाहिए।
इस दिन धर्म रक्षा, जीवन को उत्तम बनाने तथा समाज में योगदान देने हेतु नवीन प्रवृत्तियों को अपनाने तथा हानिकारक प्रवृत्तियां छोड़ने का संकल्प लेना चाहिए।
सभी पाठकों को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें..
विक्रम संवत 2080
ReplyDeleteनव वर्ष,बासंती नवरात्र की हार्दिक बधाई और शुभकामना।
चैत्र नवरात्रि और हिंदू नववर्ष मंगलमय हो हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteApko bhi shubhkamnaye bhut bhut 💐💐
ReplyDelete🙏🙏🙏सुप्रभात 🕉️
ReplyDelete🙏जय श्री राम 🚩🚩🚩
🙏जय माता दी 🚩🚩🚩
🙏आप को भी हिन्दू नववर्ष, गुड़ी पड़वा एवं नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें 💐💐
🌹🙏जय माँ🙏🌹
ReplyDeleteभारतीय नववर्ष २०८० के पदार्पण दिवस कि
हार्दिक बधाई। कितना अद्भुत और निर्मल है
हमारी संस्कृति जहाँ पर नववर्ष के प्रथम दिन
माता के चरण स्पर्श कर विधिवत उनकी पूजन
से प्रारम्भ होती है जो लगातार ९ दिनों तक
तक चलती है। ऐसी विलक्षण परम्परा दुनियाँ
में कही और नही है।
गर्व है हमारी संस्कृति हमारी परम्परा और
सबसे प्यारा हमारे भारतवर्ष पर 🌹🌹🌹
नव वर्ष कि हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteआपको और आपके समस्त परिवार जनों को भी गुड़ी पड़वा और नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🏻🔱
ReplyDeleteNav varsha ki hardik shubhkamnayen.
ReplyDeleteजय माता दी
ReplyDeleteबहुत सुंदर जानकारी।
ReplyDeleteVery nice👌👌
ReplyDeleteJai mata di
ReplyDeleteचैत्र नवरात्र और हिंदी नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🙏🥰🥰🌹🌹
ReplyDeleteVery nice
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