वीर बजरंगबली पंचमुखी कब और क्यों हुए

वीर बजरंगबली पंचमुखी कब और क्यों हुए

वैसे तो हनुमान जी स्वयं भगवान श्री राम के अनन्य भक्त हैं और सदैव उनके नाम का स्मरण करते रहते हैं, किंतु रामायण की एक कथानुसार जगत के प्रतिपालनहार श्री पर एक समय जब संकट आया तब अपने प्रभु को संकट में देख कर संकटनीवारण श्री हनुमान जी ने पंचमुखी अवतार धारण कर संकट को टाला था। 

वीर बजरंगबली पंचमुखी कब और क्यों हुए

श्री राम, रावण युद्ध के दौरान (मेघनाथ) इंद्रजीत के मारे जाने के पश्चात रावण चिंताग्रस्त हो गया था। रावण को कुछ दुःखी देखकर रावण की मां कैकसी ने उसके पाताल में बसे दो भाइयों अहिरावण और महिरावण की याद दिलाई जो तंत्र-मंत्र के महा पंडित, जादू टोने के धनी और मां कामाक्षी के परम भक्त थे। माँ केकसी के याद दिलाने पर रावण ने अपने दोनों भाइयों को बुलाया एवं अपनी मायावी शक्तियों छल बल से वध करने का आदेश दिया। उसके पश्चात दोनों भाई श्री राम प्रभु की कुटिया में पहुँचे, जहाँ प्रभु अपने अनुज श्री लक्ष्मण जी के साथ विश्राम कर रहे थे, वहाँ से वो दैत्य प्रभु श्री राम व लक्ष्मण को बिना आहट के शिला समेत उठा लिया और अपने निवास पाताल लोक ले गए। 

जब बजरंगबली ने उन दोनों राक्षसों को अपने प्रभु को ले जाते हुए देखा, तो उनका पीछा किया। तब पता चला कि वो राम लक्ष्मण को कामाक्षी देवी को बलि चढाने ले गए हैं, हनुमान रसातल गए जहां उनकी भेंट अपने बेटे मकरध्वज से हुई, जिसके शरीर का ऊपरी हिस्सा वानर का और निचला हिस्सा मछली का था। बजरंगबली ने उससे कामाक्षी मंदिर का मार्ग पूछा, तो उसने हनुमान जी का साथ देते हुए कामाक्षी मंदिर जाने का मार्ग बतलाया। 

वीर बजरंगबली पंचमुखी कब और क्यों हुए

मंदिर पहुंचने पर मां कामाक्षी ने हनुमान जी को सफलता का आशीर्वाद देते हुए मंदिर में अलग-अलग दिशाओं और स्थानों पर जल रहे पांच दीप दिखाकर कहा, यह दीप अहिरावण ने मेरी प्रसन्नता के लिए जलाये हैं। जिस दिन ये एक साथ बुझा दिए जा सकेंगे, उसका अंत सुनिश्चित हो सकेगा। यह युद्ध बजरंगबली और मकरध्वज के लिए आसान न था। मायावी अहिरावण और महिरावण बड़ी मुश्किल से मरते, तो फिर पाँच पाँच के रूप में जीवित हो जाते। यह देखकर हनुमान जी कुछ चिंतित हुए। तभी उन्हें कामाक्षी देवी के वचन याद आए, हनुमान जी ने तत्काल पंचमुखी रूप धारण कर लिया। उत्तर दिशा में वराह मुख, दक्षिण दिशा में नरसिंह मुख, पश्चिम में गरुड़ मुख, आकाश की ओर हयग्रीव मुख एवं पूर्व दिशा में हनुमान मुख। तत्पश्चात हनुमान जी ने अपने पांचों मुख द्वारा एक साथ पांचों दीपक बुझा दिए, इस प्रकार शीघ्र ही दोनों राक्षस मारे गए।

बजरंगबली के पंचमुखी अवतार के नाम एवं उनके पांचों मुख का महत्व

पंचमुखी हनुमान जी के पांचों मुख पांच अलग-अलग दिशाओं में हैं एवं इनके अलग-अलग महत्व हैं।

वीर बजरंगबली पंचमुखी कब और क्यों हुए

  • प्रथम वानर मुख: यह मुख पूर्व दिशा में है तथा दुश्मनों पर विजय प्रदान करता है।
  • द्वितीय गरुड़ मुख: यह मुख पश्चिम दिशा में है तथा जीवन की रुकावटों और परेशानियों नाशक है।
  • तृतीया वराह मुख: यह मुख उत्तर दिशा में है तथा लंबी उम्र, प्रसिद्धि और शक्ति दायक है।
  • चतुर्थ नृसिंह मुख: यह दक्षिण दिशा में है, यह डर, तनाव व मुश्किलें दूर करता है।
  • पंचम अश्व मुख: यह मुख आकाश की दिशा में है एवं मनोकामनाएं पूरी करता है।

9 comments:

  1. अत्यंत दुर्लभ जानकारी
    पंचमुखी हनुमान जी की जय।

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  2. रामायण का यह अंक और हनुमान जी के पंचमुखी अवतार के कारण से बिल्कुल अनभिज्ञ थे.... धन्यवाद ऐसी दुर्लभ जानकारी के लिए 👌👌👍👍

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  3. पंचमुखी हनुमान जी का अद्भुत वर्णन।जय बजरंग बली की।

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  4. Jai bajrang bali

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