इस नश्वर संसार में - कुंदन सिद्धार्थ

इस नश्वर संसार में

प्रेम और प्रकृति के कवि "कुन्दन सिद्धार्थ" की कविताएँ विभिन्न पत्रिकाओं जैसे - 'अक्षरा', 'आवर्त', 'वागर्थ', 'पहल', 'दोआबा', 'बहुमत', 'आजकल', 'मुक्तांचल', 'नया पथ', 'बिंब-प्रतिबिंब', 'समकालीन परिभाषा', 'सृजन सरोकार', 'समकालीन भारतीय साहित्य', 'समावर्तन' इत्यादि में एवं कई साझा संकलनों में सम्मिलित हो चुकी हैं। इनकी कुछ कविताओं का मराठी, कन्नड़, नेपाली, अंग्रजी और भोजपुरी में अनुवाद भी हो चुका है।

Rupa Oos ki ek Boond

प्रस्तुत है इनकी कविता इस नश्वर संसार में:

 इस नश्वर संसार में

सिर्फ़ दुख नहीं जाता

सुख भी चला जाता है

यहाँ रहने कौन आया है


सिर्फ़ घृणा नहीं हारती

प्रेम भी हार जाता है


संसार में सबसे दुखभरी होती है प्रेम की हार

तब प्रेम सिर्फ़ कविताओं और कहानियों में

बचा रह जाता है

यही बचा हुआ प्रेम

हमारी आँखों में नमी बनाये रखता है


सिर्फ़ रोशनी नहीं आती

अंधेरा भी आता है अपनी पूरी सुंदरता के साथ

अंधेरे और रोशनी में एक ही श्वास धड़कती है

ये नहीं रह सकते एक-दूसरे के बिना


कोई भला कैसे अलग कर सकता है

रात को दिन और सुबह को शाम से

ये संसार के सबसे पुराने प्रेमी हैं


सिर्फ़ ज्ञान नहीं जीतता

अज्ञान भी जीत जाता है

अज्ञान की जीत मनुष्यता की हार है


ज्ञानी दे या न दे, कुछ छीनता नहीं

अज्ञानी से मिलता कुछ भी नहीं

सब कुछ छिन जाता है


इस नश्वर संसार में

जहाँ कुछ भी बचाना मुश्किल है

अगर बचा लें हम थोड़ा सा सुख

बटोर लें थोड़ा सा प्रेम

नहा लें थोड़ी सी रोशनी में

ज्ञान हमें भिंगो दे, थोड़ा ही सही

तो बहुत कुछ खोकर भी

सब कुछ बच जाता है

- कुंदन सिद्धार्थ

18 comments:

  1. Heart touching 🌹🌹

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  2. छोटी सी कविता का कितना गहरा सार है, इस नश्वर संसार में ....सबसे दुख भरी प्रेम की हार...

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  3. सही बात है, नश्वर संसार में भी सब मोह माया से लिप्त हैं....

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  4. सांसारिक सुखों में मोह ही जीवन की प्रेरणा बन चुका है

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  5. प्रेम कोई हार और जीत का विषय नही है प्रेम तो बस देने का विषय है जो प्रेम निस्वार्थ भाव से किया जाता है उस में ही ईश्वरीय वरदान होता है , प्रेम बस प्रेम होना चाहिए ❣️❣️❣️❣️

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  6. प्रेम तो परमात्मा से मिलन करा सकता है।
    हमलोगों को समझ ही नही पाते कि प्रेम
    क्या चीज है। प्रेम को मीराबाई , सबरी,
    राधा रानी और जयवंता बाई समझ चुकी
    थी और उसका फल भी उन्हें मिल।
    🌹🙏गोविंद🙏🌹

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  7. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (२१-११-२०२२ ) को 'जीवन के हैं मर्म'(चर्चा अंक-४६१७) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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    1. नमस्ते अनीता जी,
      चर्चा मंच पर पोस्ट को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार!!

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  8. खूबसूरत रचना।

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  9. अच्छी कविता

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  10. रूपा सिंह जी, मेरी कविता साझा करने के लिए हृदय से आभार। सभी मित्रों का आभार जिन्होंने इसे सराहा। इस नेह के लिए कृतज्ञ हूँ।

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    1. आपकी रचनाएं बहुत ही उम्दा हैं। ब्लॉग पर आपकी प्रतिक्रिया के लिए आपका तहे दिल से आभार।

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