तेनालीराम की चुटिया || Tenaliram ki chutiya ||

तेनालीराम की चुटिया  

राजा कृष्ण देव राय और तेनालीरमन में किसी किसी बात पर चर्चा होती रहती थी। एक दिन बातों-बातों में राजा कृष्णदेव राय ने तेनालीरमन से पूछा - "अच्छा, यह बताओ कि किस प्रकार के लोग सबसे अधिक मूर्ख होते हैं और किस प्रकार के सबसे अधिक सयाने? 

तेनालीराम की चुटिया || Tenaliram ki chutiya ||

तेनालीरमन ने तुरंत उत्तर दिया - "महाराज! ब्राह्मण सबसे अधिक मूर्ख और व्यापारी सबसे अधिक सयाने होते हैं। 

राजा ने कहा - "ऐसा कैसे हो सकता है?"

तेनालीराम ने कहा - "मैं यह बात साबित कर सकता हूं।

राजा कृष्ण देव राय ने पूछा - कैसे?

तेनालीराम ने कहा - "अभी जान जाएंगे आप। पहले जरा राजगुरु को बुलवाइए। 

राजगुरु को बुलवाया गया।

तेनालीराम ने कहा - "महाराज, अब मैं अपनी बात साबित करूंगा, लेकिन इस काम में आप दखल नहीं देंगे। आप यह वचन दें, तभी मैं काम आरंभ करूंगा।" 

राजा ने तेनालीराम की बात मान ली।

तेनालीराम ने आदरपूर्वक राजगुरु से कहा - "राजगुरु! महाराज को आपकी चोटी की आवश्यकता है। इसके बदले आपको मुंहमांगा इनाम दिया जाएगा। 

राजगुरु को काटो तो खून नहीं। वर्षों से पाली गई प्यारी चोटी को कैसे कटवा दें? लेकिन राजा की आज्ञा कैसे टाली जा सकती थी?

राजगुरु ने कहा - "तेनालीराम, मैं इसे कैसे दे सकता हूं?

तेनालीराम ने कहा - "राजगुरु! आपने जीवनभर महाराज का नमक खाया है। चोटी कोई ऐसी वस्तु तो है नहीं, जो फिर न आ सके। फिर महाराज मुंहमांगा इनाम भी दे रहे हैं। "

राजगुरु मन ही मन समझ गए कि यह तेनालीराम की जरूर कोई चाल है।

तेनालीराम ने पूछा - "राजगुरु, आपको चोटी के बदले क्या इनाम चाहिए? 

राजगुरु ने कहा - पांच स्वर्ण मुद्राएं बहुत होंगी। 

पांच स्वर्ण मुद्राएं राजगुरु को दे दी गईं और नाई को बुलवाकर राजगुरु की चोटी कटवा दी गई। 

अब तेनालीरमन ने नगर के सबसे प्रसिद्ध व्यापारी को बुलवाया। 

तेनालीराम ने व्यापारी से कहा - महाराज को तुम्हारी चोटी की आवश्यकता है। 

व्यापारी ने कहा - "सब कुछ महाराज का ही तो है, जब चाहें ले लें। लेकिन बस इतना ध्यान रखें कि मैं एक गरीब आदमी हूं। 

तेनालीराम ने कहा - "तुम्हें तुम्हारी चोटी का मुंहमांगा दाम दिया जाएगा।"

व्यापारी ने कहा - "सब आपकी कृपा है लेकिन। लेकिन कहकर व्यापारी चुप हो गया। 

तेनालीराम ने पूछा - "क्या कहना चाहते हो?"

व्यापारी ने कहा - "जी बात यह है कि जब मैंने अपनी बेटी का विवाह किया था, तो अपनी चोटी की लाज रखने के लिए पूरी पांच हजार स्वर्ण मुद्राएं खर्च की थीं। पिछले साल मेरे पिता की मौत हुई, तब भी इसी कारण पांच हजार स्वर्ण मुद्राओं का खर्च हुआ और अपनी इसी प्यारी-दुलारी चोटी के कारण बाजार से कम से कम पांच हजार स्वर्ण मुद्राओं का उधार मिल जाता है।

 तेनालीराम ने कहा - अच्छा तो इस तरह तुम्हारी चोटी का मूल्य पंद्रह हजार स्वर्ण मुद्राएं हुआ। तुम यही कहना चाहते हो ना। ठीक है, यह मूल्य तुम्हें दे दिया जाएगा।"

पंद्रह हजार स्वर्ण मुद्राएं व्यापारी को दे दी गईं। व्यापारी चोटी मुंडवाने बैठा। जैसे ही नाई ने चोटी पर उस्तरा रखा, व्यापारी कड़ककर बोला - "संभलकर, नाई के बच्चे। जानता नहीं, यह महाराज कृष्णदेव राय की चोटी है। 

राजा ने यह बात सुना तो आग-बबूला हो गए। इस व्यापारी की यह मजाल कि हमारा अपमान करे? 

उन्होंने कहा - "धक्के मारकर निकाल दो इस सिरफिरे को।"

व्यापारी पंद्रह हजार स्वर्ण मुद्राओं की थैली को लेकर वहां से भाग निकला। कुछ देर बाद तेनालीराम ने कहा - "आपने देखा महाराज, राजगुरु ने तो पांच स्वर्ण मुद्राएं लेकर अपनी चोटी मुंड़वा ली। व्यापारी पंद्रह हजार स्वर्ण मुद्राएं भी ले गया और चोटी भी बचा ली। आप ही कहिए, ब्राह्मण सयाना हुआ कि व्यापारी?"

राजा ने कहा - "सचमुच तुम्हारी बात ठीक निकली।"

English Translate 

tenaliram ki chutiya

King Krishna Deva Raya and Tenaliraman used to discuss about something. One day, King Krishnadeva Raya asked Tenaliraman in conversation - "Well, tell me what kind of people are the most stupid and which type is the most grown up?

तेनालीराम की चुटिया || Tenaliram ki chutiya ||


Tenaliraman immediately replied - "Your Majesty! Brahmins are the most foolish and traders are the most grown ups.

The king said - "How can this happen?"

Tenaliram said - "I can prove this.

King Krishna Deva Raya asked - How?

Tenaliram said - "You will know now. First just call Rajguru.

Rajguru was summoned.

Tenaliram said - "Sir, now I will prove my point, but you will not interfere in this work. If you give this promise, then I will start the work."

The king obeyed Tenaliram.

Tenaliram respectfully said to the Rajguru - "Rajguru! Maharaj needs your peak. In return you will be given a handsome reward.

If you cut Rajguru, there is no blood. How to cut off a lovely braid that has been cultivated over the years? But how could the king's order be avoided?

Rajaguru said - "Tenaliram, how can I give it?

Tenaliram said - "Rajguru! You have eaten Maharaj's salt throughout your life. There is no such thing as a peak which cannot come again. Then Maharaj is also giving a handsome reward."

Rajguru understood in his mind that this must be some trick of Tenaliram.

Tenaliram asked - "Rajguru, what reward do you want for the top?

Rajguru said - Five gold coins will be plenty.

The five gold coins were given to Rajguru and the hairdresser was called and Rajguru's top was cut off.

Now Tenaliraman called the most famous merchant of the city.

Tenaliram said to the merchant - Maharaj needs your peak.

The merchant said - "Everything belongs to the Maharaj, take it whenever you want. But just keep in mind that I am a poor man.

Tenaliram said - "You will be given a handsome price for your peak."

The merchant said - "All is your grace but. But saying that the merchant became silent.

Tenaliram asked - "What do you want to say?"

The merchant said - "The thing is, when I got my daughter married, I had spent the whole five thousand gold coins to keep my top honor. Last year my father died, even then five thousand rupees for this reason. Gold currencies are spent and due to this lovely peak, at least five thousand gold currencies are borrowed from the market.

 Tenaliram said - Well, in this way your peak was worth fifteen thousand gold coins. That's what you want to say, isn't it? Well, this price will be given to you."

Fifteen thousand gold coins were given to the merchant. The merchant sat down to shave the top. As soon as the barber placed the razor on the top, the merchant said sternly - "Be careful, children of the barber. I don't know, this is the peak of Maharaja Krishna Deva Raya.

When the king heard this, he was furious. It is the prank of this merchant to insult us?

He said - "Push out this madman."

The merchant fled from there with a bag of fifteen thousand gold coins. After sometime Tenaliram said - "You have seen, Maharaj, Rajguru has shaved his top with five gold coins. The merchant also took fifteen thousand gold coins and saved the top too. You can say that the brahmin is a grown-up or a merchant?"

The king said - "You are really right."

18 comments:

  1. Adv Niranjan SinghJuly 7, 2022 at 12:10 PM

    😅😅😅

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  2. हाजिर जवाबी में बीरबल और तेनाली राम दोनो का कोई मुकाबला नहीं👍🏻 इसी को शार्प रिफ्लेक्स कहा जाता है

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  3. तेनालीराम की बुद्धिमत्ता
    के होते थे चारों और चर्चे
    हर समस्या का समाधान
    कर देता था वो बिना खर्चे
    जब भी पड़ता किसी को
    भी कोई भी जरूरी काम
    तो उन सबको याद आता
    था सबसे पहले तेनालीराम
    हर खासो-आम की जुबां पे
    था बस तेनालीराम का नाम
    🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏

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  4. ब्राह्मण मूर्ख नही होते हैं बल्कि सीधे,सरल,निष्कपट और ईमानदार होते हैं।

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    1. Sorry sir, आपके कॉमेंट पढ़ने के बाद मुझे एहसास हो रहा कि आज की पोस्ट गलत डल गई। मेरा मकसद कहीं से भी किसी के सम्मान को ठेस पहुंचाना नहीं है।

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    2. ऐसी कोई बात नही है। मुझे पता है कि आपका मकसद किसी के सम्मान को ठेस पहुँचाना नही हो सकता। आप का ब्लॉग भी बहुत लोकप्रिय और सम्मानित है।

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    3. मन का बोझ हल्का हो गया, धन्यवाद🙏

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    4. Aap kisi ko thes pahucha hi nahi sakti

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  5. Always love to read tenalirama

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  6. अच्छी कहानी, तेनालीराम का कोई जवाब नहीं

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  7. Nice story

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