सांझ ढले कभी

सांझ ढले कभी

सांझ ढले कभी,
तो आओ बैठो साथ मेरे
एक चाय की प्याली के साथ
तुम्हें हाले दिल सुनाएं..
चाय पर शायरी (Chai Par Shayari)
कैसे बीते ये दिन, महीने, साल
तेरे बिन
उस हर एक पल का
तुम्हें एहसास कराएं..
चाय पर शायरी (Chai Par Shayari)

पतझड़ में जब
पेड़ों से पीले पत्ते गिरे
बिछड़ते उस मंजर को
अपनी आंखों में दिखाएं..
चाय पर शायरी (Chai Par Shayari)
वसंत ऋतु में जब
कोयल कूकी
विरह की उस गीत को
तुम्हें गा के सुनाएं..
चाय पर शायरी (Chai Par Shayari)
सावन के महीने में
जब मेरे बदन पर
पानी की बूंदे पड़ी
उन बूंदों की जलन बताएं..
चाय पर शायरी (Chai Par Shayari)
ओस की बूंदे जब
मेरे बालों पर गिरी
उन ओस की बूंदों में
तुम्हें तेरा ही अक्स दिखाएं..
चाय पर शायरी (Chai Par Shayari)

गर्मी की तपिश में
पसीने की बूंदों के साथ
आंसू कैसे मिलते,
अरमान कैसे पिघलते तुम्हें बताएं..
चाय पर शायरी (Chai Par Shayari)

सांझ ढले कभी
तो आओ बैठो साथ मेरे
एक चाय की प्याली के साथ
तुम्हें हाले दिल सुनाएं..
चाय पर शायरी (Chai Par Shayari)

15 comments:

  1. फिर से एक बार किसी की ख़ुश्बू ने रूह को छुआ है,
    लगता है कहीं पर कुल्हड़ वाली चाय का ज़िक्र हुआ है

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  2. Quite heart touching moments.

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  3. साथ में चाय पीने से चाहत बढ़ती है.” कुछ ऐसे लम्हें होते है जब चाय कुछ ज्यादा ही अच्छी लगती है.

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  4. आप की कविता जो पढी कुल्हड़ बाली चाय याद आयी
    ऐसा लगा किसी अपने ने बुलाया फिर बही दिन याद आये

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  5. Kya baat hai....lajwab bemisaal ☕

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  6. मैं सोचता हूं एक शाम तेरे नाम करू
    अपने दिल की हर एक धड़कन तेरे नाम करू
    डूब कर तेरी आंखो की गहराई में
    मैं सोचता हूं आपनी जिन्दगी के इस दरिया को पार करू। ।

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  7. वो पल बहुत खुशनुमा होगा जब ऐसी चाय नसीब होगी ।


    💯☕🎉🙋‍♂️🌹🙏

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