जयंती । Sesbania Sesban
आज हम एक अद्भुत वनस्पति की चर्चा करेंगे, जिसको जयंती कहते हैं। जयंती से बहुत कम लोग ही अवगत हैं, परंतु यह एक ऐसा पौधा है, जो हमें अनेक रोगों से छुटकारा दिला सकता है। यदि हम इसे पहचान लें और इसका प्रयोग करने के तरीके को जान लें, तो बिना एक पैसा खर्च किए ही यह हमें स्वस्थ कर सकता है।
जयंती का स्वाद कड़वा तथा तीखा होता है। यह पेट के लिए गर्म और जल्द पचने वाली वनस्पति है। जयंती कफ तथा पित्त को शांत करती है। आयुर्वेद संहिता में जयंती के पत्तों के रस के प्रयोग का विशेष वर्णन मिलता है। पीले /सफेद, लाल और काले फूलों के आधार पर इस की 3 प्रजातियां होती हैं। पीले फूलों वाली जयंती सभी जगह पाई जाती है, परंतु सफेद फूलों वाली जयंती दुर्लभ होती है। सफेद जयंती के जड़ का प्रयोग कुष्ठ आदि त्वचा विकारों में अत्यंत लाभकारी होता है।
जयंती क्या है?
जयंती दलहन प्रजाति का बहुपयोगी पौधा है, जो हमें भोजन, दवा और इंधन तीनों उपलब्ध कराता है। इसे जैत या जैता भी कहते हैं। जयंती के पेड़ की डालियां बहुत पतली और पत्तियां अगस्त की पत्तियों की तरह होती हैं, परंतु उनसे कुछ छोटी होती हैं। फूल अरहर के फूलों की तरह पीले होते हैं। फूलों के झड़ जाने पर लंबी पतली फलियां लगती हैं। जयंती एक ऐसा पौधा है, जिसके बीज जहरीले होते हैं। परंतु इसे 3 दिनों तक पानी में भिगोने के बाद इसका जहरीला प्रभाव खत्म हो जाता है, तब इसे प्रयोग में लाया जाता है। भोजन के रूप में इसका प्रयोग सामान्यतः अफ्रीका के इलाकों में किया जाता है। यह अल्पायु तथा शीघ्र बढ़ने वाला पौधा है। इसका तना कोमल लकड़ी के सामान लगभग 15 सेंटीमीटर मोटा, गोलाकार और हरे रंग का होता है। जयंती के फूल लंबे, छोटे, पीले अथवा नारंगी रंग के तथा उन पर लाल अथवा बैगनी रंग के धब्बे होते हैं। इसकी फली बेलनाकार पतली हरे भूरे रंग की तथा 20 30 बीजों से युक्त होती है इस पर फूल और फल लगने का समय अक्टूबर - नवंबर से लेकर जनवरी तक होता है।
जानते हैं जयंती के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुणों के बारे में
जयंती की फलियों के बीज उत्तेजक तथा संकोचक होते हैं, जो दस्त की बीमारियों में औषधि के रूप में काम करते हैं। खाज का मरहम भी इससे बनता है। इसकी पत्तियां फोड़े या सूजन पर बांधी जाती हैं और गिल्टियों को गलाने का काम करती हैं। इसकी जड़ पीसकर बिच्छू के काटने पर लगाई जाती है। यह जंगली भी होता है और लोग इसे लगाते भी हैं।
पेचिश की समस्या
दूषित पानी के पीने या फिर संक्रमित भोजन करने से बार बार दस्त होने या पेचिश की समस्या हो जाती है। सफेद जयंती की छाल खून के विकारों को दूर करती है तथा पाचन क्रिया को सही करती है। 1 से 2 ग्राम जयंती के बीज का चूर्ण तथा 5 मिलीलीटर जयंती की छाल के रस का सेवन करने से पेचिश तथा पाचन की समस्याओं में लाभ होता है।
बाल गिरने की समस्या
बाल झड़ने की समस्या आम है। ऐसे में जयंती का प्रयोग बहुत लाभकारी हो सकता है। जयंती के पत्तों को पीसकर सिर में लगाने से या जयंती के पत्तों का काढ़ा बनाकर सिर धोने से बालों का झड़ना रुकता है।
सर्दी जुखाम की समस्या
मौसम बदलने के साथ या फिर प्रदूषण के कारण सर्दी जुकाम की समस्या एक आम बीमारी है। जयंती के फूलों का चूर्ण बनाकर 1 से 2 ग्राम मात्रा में सेवन करने से सर्दी जुकाम में आराम मिलता है।
जोड़ों के दर्द में
बढ़ती आयु में जोड़ों में दर्द होना आम समस्या है, परंतु आजकल युवाओं में भी घुटनों के दर्द या फिर अन्य जोड़ों की समस्या होने लगी है। जयंती के पत्तों को पीसकर घुटने आदि जोड़ों में लगाने से जोड़ों की सूजन तथा दर्द दोनों में ही आराम मिलता है।
चर्म रोगों की समस्या
खुजली
- चर्म रोगों में भी जयंती काफी लाभकारी होती है। जयंती के बीज के रस को लगाने से खुजली तथा अन्य चर्म रोग ठीक होते हैं।
- जयंती के पत्तों तथा बीजों को पीसकर लगाने से खुजली मिटती है तथा साथ ही जयंती के बीज के चूर्ण को आटे में मिलाकर उबटन की तरह प्रयोग करने से खुजली दूर होती है।
दाद
जयंती की जड़ को 1 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ पीसकर सेवन करने से दाद रोग में फायदा होता है।
फोड़े फुंसी
जयंती के बीजों को गाय के घी में पीसकर लगाने से फोड़े फुंसियां ठीक होते हैं।
सूजन की समस्या
जयंती के पत्तों को हल्दी तथा लहसुन के साथ पीसकर सूजन वाले स्थान पर लगाने से सूजन कम होती है।
बिच्छू के जहर का असर कम करने में
जयंती की जड़ के चूर्ण को बिच्छू के काटे हुए स्थान पर लगाने से बिच्छू के काटने से होने वाले दर्द, जलन आदि खत्म होती है।
विभिन्न भाषाओं में जयंती के नाम
जयंती (sesbania sesban) का वानस्पतिक यानी लैटिन नाम सेस्बेनिया सेसबेन (Sesbania sesban (Linn.) Merr.) तथा Syn-Sesbania aegyptiaca Poir. है। यह फैवेसी (Fabaceae) कुल का पौधा है। अंग्रेजी में इसे कॉमन सेसबेन (Common sesban)
Hindi– जयन्ती, जैतज्ञ
Urdu – जैत (Jait)
Oriya– जोयोंति (Joyonti), तेन्तुआ (Tentua)
Kannada – अरिनिन्तजिनांगि (Arinintjinangi)
Gujarati – रायशीघ्रनी (Rayasingani)
Telugu – जालुगु (Jalugu), सोमिंता (Sominta)
Tamil – अस्नापन्नी (Asnapanni), सितागट्टी (Sittagatti)
Bengali – जयन्ती (Jayanti)
Nepali – जाईता (Jayita)
Punjabi – जैनतार (Jaintar), झंझन (Jhanjhan)
Marathi – सेवरी (Sevari), शेवरी (Shewari) जायत (Jayat)
Malayalam – किटन्नू (Kitannu), शेम्पा (Shempa)
Arabic – सेसाबेन (Saisaban), सासबेन (Sasaban)
Persian – सिसिबेन (Sisiban)
जयंती के नुकसान (Side Effects of Jayanti)
जयंती के बीज जहरीले होते हैं बीजों को प्रयोग करने से पहले 3 दिन तक पानी में भिगो दिया जाता है जिससे इसका जहरीला प्रभाव खत्म हो जाता है।
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Sesbania
Today we will discuss a wonderful plant, which is called Jayanti. Very few people are aware of Jayanti, but it is such a plant, which can relieve us from many diseases. If we recognize it and know how to use it, it can heal us without spending a single penny.
The taste of Jayanti is bitter and pungent. It is a hot and quickly digestible vegetable for the stomach. Jayanti pacifies Kapha and Pitta. A special description of the use of juice of jayanti leaves is found in the Ayurveda Samhita. There are 3 species of this on the basis of yellow/white, red and black flowers. Yellow flowered jubilee is found everywhere, but white flowered jubilee is rare. The use of white jayanti root is very beneficial in skin disorders like leprosy.
What is Jayanti?
Jayanti is a multi-use plant of pulses species, which provides all three of us food, medicine and fuel. It is also called Jaita or Jaita. The branches of the jubilee tree are very thin and the leaves are like the leaves of August, but a little smaller than them. The flowers are yellow like tur flowers. When the flowers drop, long thin pods are formed. Jayanti is a plant whose seeds are poisonous. But after soaking it in water for 3 days, its poisonous effect ends, then it is used. It is commonly used as food in areas of Africa. It is a short and fast growing plant. Its stem is soft woody material about 15 cm thick, spherical and green in color. The flowers of the jubilee are long, small, yellow or orange in color and have red or purple spots on them. Its pods are cylindrical, thin greenish brown in color and containing 20 30 seeds, on which the time of flowering and fruiting is from October - November to January.
Know about the advantages, disadvantages, uses and medicinal properties of Jayanti
The seeds of jayanti pods are stimulant and depressant, which work as medicine in diarrheal diseases. Scabies ointment is also made from it. Its leaves are tied on the boil or swelling and act as a smelt of galls. Its root is grinded and applied on the bite of a scorpion. It is also wild and people also plant it.
dysentery problem
Drinking contaminated water or eating contaminated food causes frequent diarrhea or dysentery. White jayanti bark removes blood disorders and corrects digestion. Taking 1 to 2 grams powder of jayanti seeds and 5 ml juice of jayanti bark is beneficial in dysentery and digestion problems.
hair fall problem
Hair loss is a common problem. In such a situation, the use of Jayanti can be very beneficial. Grinding jayanti leaves and applying it on the head or washing the head by making a decoction of jayanti leaves stops hair fall.
cold sore problem
The problem of cold is a common disease with the change of season or due to pollution. Make a powder of Jayanti flowers and take 1 to 2 grams in quantity, it provides relief in cold.
in joint pain
Joint pain is a common problem in the growing age, but nowadays youth have also started having knee pain or other joint problems. Grinding the leaves of jayanti and applying it on the joints of the knee, etc. provides relief in both swelling and pain of the joints.
skin problems
Itching
- Jayanti is also very beneficial in skin diseases. Itching and other skin diseases are cured by applying juice of jayanti seeds.
- Applying powder of jayanti leaves and seeds ends itching, and mixing the powder of jayanti seeds in flour and using it as rubbish ends itching.
Shingles
Grinding the root of Jayanti in the amount of 1 gram with milk and consuming it, it is beneficial in ringworm disease.
boils pimple
Grinding the seeds of Jayanti in cow's ghee and applying it cures boils.
inflammation problem
Grind jayanti leaves with turmeric and garlic and apply it on the inflamed area, it reduces swelling.
To reduce the effect of scorpion venom
Applying the powder of the root of Jayanti on the bitten area of the scorpion ends the pain, burning etc. caused by the bite of the scorpion.
महापुरुषों की जयंती सुने थे। जयंती पौधे के विषय में पहली बार ही सुन रहे। यह तो कहीं आसपास देखा भी नहीं है।
ReplyDeleteNice , Good information
ReplyDeleteVery good information
ReplyDeleteअच्छी जानकारी
ReplyDeleteअच्छी जानकारी
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ReplyDeleteवनस्पतियों में बहुत शक्ति होती है, जरुरत है कि हम इसे अच्छी तरह पहचान कर इनका लाभ उठाएं, पर विस्तृत जानकारी और पहचान ना होने के कारण हम अपने इर्द गिर्द के ही बहुत वनस्पतियों के उपयोग से अनभिज्ञ हैं…ऐसे में तुम्हारे ब्लाग के माध्यम से बहुत अच्छी जानकारी मिल जाती है…
बहुत अच्छी जानकारी 👌👌
Nice
ReplyDeletevery useful
ReplyDeleteMem bhut sunder jankari , prakriti hi jeevan hai. Is adbhud jankari ko apni kitni mehnat se jutakar hamsabko uplabdh karayi. Ham sab abhari hain.
ReplyDeleteइस पौधे के विषय में किंचित मात्र भी जानकारी नही थी। इतनी अच्छी जानकारी के लिए साधुवाद।
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteजयंती वनस्पति जहरीला होने के बावजूद विभिन्न बीमारियों में उपयोगी है।इसके बीज,जड़ें,पत्तियां, छाल सभी अलग अलग रूप से लाभकारी हैं।
ReplyDeleteNice
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