ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution)
आज जितना शोर बाहर वातावरण में है उससे कहीं अधिक शोर हमारे भीतर भी है, जो हमारे कानों को तो सुनाई नही देता है लेकिन नुकसान बराबर करता है। परंतु आज का मुद्दा हमारा आंतरिक शोर का नही हैं। आज हम कुछ बातें बाहरी शोर की करते हैं, जिसे ध्वनि प्रदूषण कहा जाता है। आज जितने संसाधनों का हम प्रयोग करते हैं अपनी जिंदगी को आसान बनाने के लिए क्या कभी किसी ने सोचा है कि इन संसाधनों ने बदले में हमसे क्या लिया है? कितनी हमारे आस पास अशांति फैला दी है? वातावरण को कितना दुषित किया है?
ध्वनि प्रदूषण क्या है?
एक फुसफुसाहट लगभग 30 डेसीबल होत है, सामान्य बातचीत लगभग 60 डेसीबल होती है। लंबे समय तक 70 डेसीबल से ऊपर का शोर हमारी सुनने की क्षमता को नुकसान पहुंचाना शुरू कर सकता है। 120 डेसीबल से ऊपर की तेज आवाज हमारे कानों को तुरंत नुकसान पहुंचा सकती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) 65 डेसिबल (dB) से ऊपर के शोर को ध्वनि प्रदूषण के रूप में परिभाषित करता है। शोर हानिकारक हो जाता है, जब यह 75 डेसिबल (dB) से अधिक हो जाता है और 120 डेसीबल से ऊपर दर्दनाक होता है।अगर कोई व्यक्ति अपना अधिकतर समय भीड़ भाड़ जैसी जगह या फिर ज्यादा शोर-शराबे वाली जगह पर बिताता है, तो धीरे-धीरे उसके सुनने की क्षमता क्षीण होने लगती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 75 डेसीबल से अधिक तीव्रता की ध्वनि मानव जीवन के लिए हानिकारक है।
ध्वनि प्रदूषण के कारण
वातावरण में ध्वनि प्रदूषण ज्यादा तेज आवाज के कारण होता है, जो दर्द का कारण बनता है। ध्वनि प्रदूषण के कुछ मुख्य स्त्रोत सड़क पर यातायात के द्वारा उत्पन्न शोर, निर्माणकार्य (भवन, सड़क, शहर की गलियों, फ्लाई ओवर आदि) के कारण उत्पन्न शोर, औद्योगिक शोर, दैनिक जीवन में घरेलू उत्पादकों (जैसे घरेलू सामान, रसोइ घर का सामान, वैक्यूम क्लीनर, कपड़े धोने की मशीन, मिक्सी, जूसर, प्रेसर कूकर, टीवी, मोबाइल, ड्रायर, कूलर आदि) से उत्पन्न शोर, आदि हैं।
कुछ देशों में (बहुत अधिक जनसंख्या वाले शहर जैसे भारत आदि) खराब शहरी योजना ध्वनि प्रदूषण में मुख्य भूमिका निभाती है। क्योंकि इसकी योजना में बहुत छोटे घरों का निर्माण किया जाता है, जिसमें कि संयुक्त बड़े परिवार के लोग एक साथ रहते हैं (जिसके कारण पार्किंग के लिये झगड़ा, आधारभूत आवश्यकताओं के लिये झगड़ा होता है आदि), जो ध्वनि प्रदूषण का नेतृत्व करता है।
आधुनिक पीढ़ी के लोग पूरी आवाज में गाना चलाते हैं और देर रात तक नाचते हैं, जो पड़ोसियों के लिये बहुत सी शारीरिक और मानसिक समस्याओं का कारण बनता है। अधिक तेज आवाज सामान्य व्यक्ति की सुनने की क्षमता को हानि पहुँचाती है। अधिक तेज आवाज धीरे-धीरे स्वास्थ्य को प्रभावित करती है और एक धीरे जहर के रुप में कार्य करती है।
ध्वनि प्रदूषण का प्रभाव
यह ध्वनि प्रदूषण जंगली जीवन, पेड़-पौधों के जीवन और मनुष्य जीवन को बहुत बड़े पैमाने पर प्रभावित करती है। सामान्यतः, हमारे कान एक निश्चित ध्वनि की दर को बिना कानों को कोई हानि पहुंचाये स्वीकार करते हैं। हालांकि, हमारे कान नियमित तेज आवाज को सहन नहीं कर पाते और जिससे कान के पर्दें बेकार हो जाते हैं, जिसका परिणाम अस्थायी या स्थायी रुप से सुनने की क्षमता की हानि होता है। इसके कारण और भी कई परेशानी होती हैं जैसे: सोने की समस्या, चिड़चिड़ापन, सिरदर्द, कमजोरी, अनिद्रा, तनाव, उच्च रक्त दाब, वार्तालाप समस्या आदि। 120 डेसीबल से अधिक की ध्वनि गर्भवती महिला, उसके गर्भस्थ शिशु, बीमार व्यक्तियों तथा 10 साल से छोटी उम्र के बच्चों के स्वास्थ्य को अधिक हानि पहुंचाती है।
ध्वनि प्रदूषण को रोकने के उपाय
ध्वनि प्रदूषण को रोकने के उपाय किए जा सकते हैं।
- ध्वनि प्रदूषण को कम करने का सबसे बड़ा उपाय जागरूकता है। साधारण जनमानस में ध्वनि प्रदूषण को लेकर जागरूकता होनी जरूरी है। लोगों को ध्वनि प्रदूषण से होने वाले नुकसान के प्रति जागरूक होना चाहिए।
- सरकार द्वारा भी ध्वनि प्रदूषण को कम करने के प्रयास किए जाते हैं।
- यहां एक रोचक तथ्य यह है कि पेड़ - पौधे ध्वनि की तीव्रता को कम करते हैं, जिससे ध्वनि प्रदूषण कम होता है। इसलिए हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़ - पौधे लगाने चाहिए।
- सड़क पर अपने वाहनों के हॉर्न का उपयोग कम से कम करना चाहिए। उनकी तीव्रता भी कम होनी चाहिए।
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ReplyDeleteध्वनि के संचरण के लिये माध्यम (मिडिअम्) की जरूरत होती है। ठोस द्रव, गैस एवं प्लाज्मा में ध्वनि का संचरण सम्भव है। निर्वात में ध्वनि का संचरण नहीं हो सकता।
ReplyDeleteद्रव, गैस एवं प्लाज्मा में ध्वनि केवल अनुदैर्घ्य तरंग (longitudenal wave) के रूप में चलती है जबकि ठोसों में यह अनुप्रस्थ तरंग (transverse wave) के रूप में भी संचरण कर सकती है।। जिस माध्यम में ध्वनि का संचरण होता है यदि उसके कण ध्वनि की गति की दिशा में ही कम्पन करते हैं तो उसे अनुदैर्घ्य तरंग कहते हैं; जब माध्यम के कणों का कम्पन ध्वनि की गति की दिशा के लम्बवत होता है तो उसे अनुप्रस्थ तरंग कहते है।
सामान्य ताप व दाब (NTP) पर वायु में ध्वनि का वेग लगभग 332 मीटर प्रति सेकेण्ड होता है। बहुत से वायुयान इससे भी तेज गति से चल सकते हैं उन्हें सुपरसॉनिक विमान कहा जाता है।
मानव कान लगभग २० हर्ट्स से लेकर २० किलोहर्टस (२०००० हर्ट्स) आवृत्ति की ध्वनि तरंगों को ही सुन सकता है। बहुत से अन्य जन्तु इससे बहुत अधिक आवृत्ति की तरंगों को भी सुन सकते हैं।
एक माध्यम से दूसरे माध्यम में जाने पर ध्वनि का परावर्तन एवं अपवर्तन होता है।
माइक्रोफोन ध्वनि को विद्युत उर्जा में बदलता है; लाउडस्पीकर विद्युत उर्जा को ध्वनि उर्जा में बदलता है।
किसी भी तरंग (जैसे ध्वनि) के वेग, तरंगदैर्घ्य और आवृत्ति में निम्नलिखित संबन्ध होता है-
It's very harmful for us..
ReplyDeleteआज के ब्लॉग में आपने एक महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया है। विकास की दौड़ में हम जाने-अनजाने ध्वनि प्रदूषण बढ़ाने के जिम्मेदार होते जा रहे हैं। अब वक्त आ गया हसि कि हम जागरूक होवें और इसे कम करने की दिशा में कदम उठाएं।
ReplyDeletegood topic
ReplyDeleteहां, यही तो दुःख की बात है। कोई इसके परिणाम नहीं सोचता।
ReplyDeleteSound polution is very dengerous for us.
ReplyDeleteNice blog.
ReplyDeleteहाँ, यह आज हमारे जीवन का एक और संकट है। हम अब "पूर्ण मौन" शब्द नहीं जानते हैं, क्योंकि हमारे चारों ओर हमेशा कुछ न कुछ शोर होता है, जिसके लिए हम पहले से ही अभ्यस्त हो चुके हैं और हमने इसे सुनना बंद कर दिया है। और हमें याद नहीं रहता कि यह हमारे स्वास्थ्य के लिए कितना हानिकारक है।
ReplyDelete40डेसीबल से अधिक ध्वनि हमें नुकसान पहुंचाती है।ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए हमें निर्धारित उपाय अपनाना चाहिए।हमें जागरूक रहने की जरूरत है।
ReplyDeleteNoise pollution is harmful for health, so we should not pollute noise
ReplyDeleteमहत्वपूर्ण मुद्दा, मेरे घर के सामने ही सड़क है और दिन-रात गाड़ियों की चलने की आवाज आती रहती है यहां तक कि रात में भी गाड़ियों के चलने से शोर होता है…आवाज और धूल दोनों ही परेशानियों का रोज सामना करना पड़ता है…
ReplyDeleteध्वनि प्रदूषण करना एक स्टेटस की निशानी हो गई है
ReplyDeleteअच्छा ब्लॉग
ReplyDeleteNice blog as usual...
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteध्वनि प्रदूषण पर कोई ध्यान ही नहीं देता जबकि ये भी उतना ही खतरनाक है जितना वायु या जल प्रदूषण। स्वयं हम सब ही चाहे और ध्यान दें तो बहुत हद तक इसपर काबू पाया जा सकता है।
ReplyDeleteधरती माता का श्रृंगार
ReplyDeleteकरती है सारी प्रकृति
प्रकृति ही तो है हमारी
इस धरती का आभूषण
इस प्यारी-सी प्रकृति को
नष्ट करके हम सब रोज
फैला रहे तरह-तरह का
धीमा जहरीला प्रदूषण
अपने मतलब के लिए
बन रहे हो खरदूषण
सुनहरे भविष्य निर्माण
का कर रहे हो शोषण
🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏
Nice
ReplyDeleteMem a unique article written by you.
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