तेनालीराम - मौत की सजा । Tenali Raman - Maut Ki Saja

मौत की सजा

बीजापुर के सुल्तान इस्माइल आदिलशाह को डर था कि राजा कृष्णदेव राय अपने प्रदेश रायचूर और मदकल को वापस लेने के लिए हम पर हमला करेंगे। उसने सुन रखा था कि वैसे राजा ने अपनी वीरता से कोडीवडु, कोंडपल्ली, उदयगिरि, श्रीरंगपत्तिनम, उमत्तूर और शिवसमुद्रम को जीत लिया था।

तेनालीराम - मौत की सजा । Tenali Raman - Maut Ki Saja

सुलतान ने सोचा कि इन दो नगरों को बचाने का एक ही उपाय है कि राजा कृष्णदेव राय की हत्या करवा दी जाए। उसने बड़े इनाम का लालच देकर तेनालीराम के पुराने सहपाठी और उसके मामा के संबंधी कनकराजू को इस काम के लिए राजी कर लिया।

कनकराजू तेनालीराम के घर पहुंचा। तेनालीराम ने अपने मित्र का खुले दिल से स्वागत किया। उसकी खूब आवभगत की और अपने घर में उसे ठहराया।

एक दिन जब तेनालीराम काम से कहीं बाहर गए हुए थे तो कनकराजू ने राजा को तेनालीराम की तरफ से संदेश भेजा- " अगर आप इसी समय मेरे घर आएंगे तो मैं आपको ऐसी अनोखी बात दिखाऊंगा, जो आपने जीवनभर में कभी नहीं देखी होगी।"

राजा बिना किसी हथियार के तेनालीराम के घर पहुंचे। अचानक कनकराजू ने छुरे से उन पर वार कर दिया। इससे पहले कि छुरे का वार राजा को लगता, उन्होंने कसकर उसकी कलाई पकड़ ली। उसी समय राजा के अंगरक्षकों के सरदार ने कनकराजू को पकड़ लिया और वहीं उसे ढेर कर दिया।

अब क्या था राज्य के कानून के अनुसार, राजा को मारने की कोशिश करने वाले व्यक्ति को जो आश्रय देता था, उसे मृत्युदंड दिया जाता था। तेनालीराम को भी मृत्युदंड की सजा सुनाई गई। 

सजा सुनाने के बाद तेनालीरमन ने राजा से दया की याचिका की।

राजा ने कहा, "मैं राज्य के नियम के विरुद्ध जाकर तुम्हें क्षमा नहीं कर सकता। तुमने उस दुष्ट को अपने यहां आश्रय दिया। तुम कैसे मुझसे क्षमा की आशा कर सकते हो? हां, यह हो सकता है कि तुम स्वयं फैसला कर लो, तुम्हें किस प्रकार की मृत्यु चाहिए?"

तेनालीराम ने कहा - "मुझे बुढ़ापे की मृत्यु चाहिए, महाराज।"

सभी आश्चर्यचकित थे। राजा हंसकर बोले, "इस बार भी बच निकले तेनालीराम।"

English Translate 

 Maut Ki Saja

Sultan Ismail Adilshah of Bijapur feared that King Krishnadev Raya would attack us to take back his territories Raichur and Madkal. He had heard that such a king had conquered Kodivadu, Kondapalli, Udayagiri, Srirangapattinam, Umattur and Shivasamudram with his valor.

तेनालीराम - मौत की सजा । Tenali Raman - Maut Ki Saja

The Sultan thought that the only way to save these two cities was to get King Krishna Deva Raya killed. He persuaded Kanakraju, an old classmate of Tenaliram and his maternal uncle's relative, for this work by luring him with a big reward.

Kanakraju reached Tenaliram's house. Tenaliram welcomed his friend with an open heart. Welcomed him a lot and made him stay in his house.

One day when Tenaliram was out for work, Kanakraju sent a message to the king on behalf of Tenaliram - "If you come to my house at this time, I will show you such a unique thing, which you have never seen in your life."

The king reached Tenaliram's house without any weapons. Suddenly Kanakraju stabbed him with a knife. Before the knife hit the king, they tightly held his wrist. At the same time the chief of the king's bodyguards caught Kanakraju and killed him there.

According to what was now state law, the person who gave shelter to anyone who tried to kill the king was given the death penalty. Tenaliram was also sentenced to death.

After the sentencing, Tenaliraman petitioned the king for mercy.

The king said, "I cannot forgive you by going against the rule of the kingdom. You have given shelter to that wicked one. How can you expect forgiveness from me? Yes, it may be that you decide for yourself, What kind of death do you want?"

Tenaliram said - "I want the death of old age, my lord."

Everyone was surprised. The king laughed and said, "This time also Tenaliram escaped."

17 comments:

  1. वाह तेलीराम क्या बात है

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  2. अच्छी कहानी

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  3. तेनाली राम बहुत चालाक था।

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  4. तेनाली राम बहुत चालाक था।

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  5. तेनाली राम ने बुद्धिमत्ता से अपने को राजा के मृत्यु दंड से बच लिया।

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  6. Good story 👏👏

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  7. Great tenaliraman 👏👏

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