सिद्धिविनायक, मुंबई । Shree Siddhivinayak Ganapati Temple

सिद्धिविनायक, मुंबई

यूं तो सिद्धिविनायक (Siddhivinayak) के भक्त दुनिया के हर कोने में हैं, लेकिन महाराष्ट्र में इनके भक्त सबसे अधिक हैं। समृद्धि की नगरी मुंबई के प्रभादेवी इलाके का सिद्धिविनायक (Siddhivinayak) मंदिर उन गणेश मंदिरों में से एक है, जहां सिर्फ हिंदू ही नहीं बल्कि हर धर्म के लोग दर्शन और पूजा-अर्चना के लिए आते हैं। हालांकि इस मंदिर की ना तो महाराष्ट्र के 'अष्टविनायकों' में गिनती होती है और ना ही 'सिद्ध टेक' से इसका कोई संबंध है, फिर भी यहां गणपति पूजा का खास महत्व है।

सिद्धिविनायक, मुंबई । Shree Siddhivinayak Ganapati Temple

महाराष्ट्र में गणेश दर्शन के आठ सिद्ध ऐतिहासिक और पौराणिक स्थल है, जो अष्टविनायक के नाम से प्रसिद्ध है। लेकिन अष्टविनायकों से अलग होते हुए भी इसकी महत्ता किसी सिद्धपीठ से कम नहीं।

 सिद्धिविनायक गणेश जी का सबसे लोकप्रिय रूप है‌। गणेश जी की प्रतिमाओं की सूंड़ दाएं तरफ मुड़ी होती है वह सिद्धपीठ से जुड़ी होती हैं, और उनके मंदिर सिद्धिविनायक मंदिर कहलाते हैं। कहते हैं कि, सिद्धिविनायक की महिमा अपरंपार है,वह भक्तों की मनोकामना को तुरंत पुरा करते हैं। मान्यता है कि ऐसे गणपति बहुत ही जल्दी प्रसन्न होते हैं, और उतनी ही जल्दी कुपित भी होते हैं।

चतुर्भुजी विग्रह

सिद्धिविनायक की दूसरी विशेषता यह है कि वह चतुर्भुजी विग्रह हैं। उनके ऊपरी दाएं हाथ में कमल और बाएं हाथ में अंकुश है, और नीचे के दाहिने हाथ में मोतियों की माला और बाएं हाथ में मोदक (लड्डू) भरा कटोरा है। गणपति के दोनों ओर उनकी दोनों पत्नियां रिद्धि और सिद्धि मौजूद हैं, जो ऐश्वर्य, सफलता और सभी मनोकामना को पूर्ण करने का प्रतीक हैं। मस्तक पर अपने पिता शिव के समान एक तीसरा नेत्र गले में एक सर्प हार के स्थान पर लिपटा है। सिद्धिविनायक काऔ विग्रह ढाई फीट ऊंचा है और 2 फीट चौड़े एक ही काले शिलाखंड से बना है। मंदिर के अंदर चांदी से बने चूहों की दो बड़ी मूर्तियां भी हैं। मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु उनके कानों में अपनी मनोकामनाएं बताते हैं, तो चूहे आपका संदेश भगवान गणेश तक पहुंच जाते हैं।

सिद्धिविनायक, मुंबई । Shree Siddhivinayak Ganapati Temple

इतिहास

किवदंती है कि इस मंदिर का निर्माण संवत् 1692 में हुआ था, मगर सरकारी दस्तावेजों के मुताबिक इस मंदिर का 19 नवंबर 1801 में पहली बार निर्माण हुआ था। सिद्धिविनायक का यह मंदिर पहले बहुत छोटा था। पिछले दो-तीन दशकों में इस मंदिर का कई बार पूनर्निर्माण हो चुका है।1991 में महाराष्ट्र सरकार ने इस मंदिर के भव्य निर्माण के लिए 20000 वर्ग फुट की जमीन प्रदान की। वर्तमान में सिद्धिविनायक मंदिर की इमारत 5 मंजिला है और यहां प्रवचन गृह, गणेश संग्रहालय के अलावा दूसरी मंजिल पर अस्पताल भी है जहां रोगियों की मुफ्त इलाज किया जाता है। इसी मंजिल पर रसोई घर है जहां से एक लिफ्ट सीधे गर्भ गृह में आती है पुजारी गणपति के लिए निर्मित प्रसाद व लड्डू इसी रास्ते से लाते हैं।

सिद्धिविनायक, मुंबई । Shree Siddhivinayak Ganapati Temple

गर्भ गृह

नवनिर्मित मंदिर के 'गभारा' या गर्भगृह को इस तरह बनाया गया है ताकि अधिक से अधिक भक्त गणपति का सभा मंडप से सीधे दर्शन कर सकें। पहले मंजिल की गैलरीयां भी इस तरह बनाईं गई हैं कि भक्त वहां से भी सीधे दर्शन कर सकते हैं। अष्टभुजी गर्भगृह तकरीबन 10 फीट चौड़ा और 10 फीट ऊंचा है। गर्भ गृह के चबूतरे पर स्वर्ण शिखर वाला चांदी का सुंदर मंडप है, जिसमें सिद्धिविनायक विराजते हैं। गर्भ गृह में भक्तों को जाने के लिए तीन दरवाजे हैं जिन पर अष्टविनायक, अष्टलक्ष्मी और दशावतार की आकृतियां चित्रित हैं।

सिद्धिविनायक मंदिर में हर मंगलवार को भारी संख्या में भक्तगण गणपति बप्पा के दर्शन कर अपनी अभिलाषा पूरी करते हैं।मंगलवार को यहां इतनी भीड़ होती है कि लाइन में चार-पांच घंटे खड़े होने के बाद ही दर्शन मिल पाता है। हर साल गणपति पूजा महोत्सव यहां भाद्रपद की चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक विशेष समारोह पूर्वक मनाया जाता है।

सिद्धिविनायक मंदिर को हर साल लगभग 100 मिलियन - 150 मिलियन का दान मिलता है, जो इसे मुंबई का सबसे अमीर मंदिर ट्रस्ट बनाता है। 2004 में सिद्धिविनायक गणपति मंदिर ट्रस्ट जो मंदिर का संचालन करता है पर दान के कूप्रबंधन का आरोप लगा। नतीजतन मुंबई हाईकोर्ट में ट्रस्ट के धन की जांच करने और आरोपों की जांच के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश वी पी टिपनिस की अध्यक्षता में एक समिति नियुक्त की। समिति ने बताया कि- इस मामले का सबसे चौंकाने वाला पहलू यह है कि विशेष संस्थानों के लिए कोई विधि या सिद्धांत का पालन नहीं किया जाता है। 2006 में मुंबई हाई कोर्ट ने राज्य सरकार, सिद्धिविनायक मंदिर ट्रस्ट और याचिकाकर्ता केवल सेमलानी को मंदिर के ट्रस्ट फंड का उपयोग करने के लिए "विचारोत्तेजक दिशानिर्देश" तैयार करने का निर्देश दिया।

सिद्धिविनायक, मुंबई । Shree Siddhivinayak Ganapati Temple

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Siddhivinayak, Mumbai

Although Siddhivinayak's devotees are in every corner of the world, but Maharashtra has the highest number of devotees. Siddhivinayak Temple in Prabhadevi area of ​​Mumbai, the city of prosperity, is one of those Ganesh temples, where not only Hindus but people of all religions come for darshan and worship. However, this temple is neither in the 'Ashtavinayaks' of Maharashtra There is no counting nor is it related to 'Siddha Tek', yet here Ganapati worship has special significance.

There are eight proven historical and mythological places of Ganesha Darshan in Maharashtra, which is famous as Ashtavinayak. But despite being different from the Ashtavinayaks, its importance is not less than any Siddhapeeth.

 Siddhivinayak is the most popular form of Ganesha. The trunks of the idols of Ganesha are turned to the right, they are attached to the Siddhapeeth, and their temples are called Siddhivinayak temples. It is said that the glory of Siddhivinayak is immeasurable, he fulfills the wishes of the devotees immediately. It is believed that such Ganpatis are very happy and get angry very quickly.

सिद्धिविनायक, मुंबई । Shree Siddhivinayak Ganapati Temple

Chaturbhuji Deity

The second feature of Siddhivinayak is that he is a four-armed Deity. He holds a lotus in his upper right hand and Ankush in his left hand, and a garland of pearls in his lower right hand and a bowl filled with modaks (laddoos) in his left hand. On either side of Ganapati are his two wives Riddhi and Siddhi, which symbolize opulence, success and fulfillment of all wishes. A third eye, similar to that of his father Shiva, is wrapped around the neck in place of a snake necklace. The Siddhivinayak Kau Deity is two and a half feet high and 2 feet wide made of a single black rock. There are also two big sculptures of rats made of silver inside the temple. It is believed that if the devotees tell their wishes in their ears, then the rats reach your message to Lord Ganesha.

History

Legend has it that this temple was built in Samvat 1692, but according to government documents, this temple was first constructed on 19 November 1801. This temple of Siddhivinayak was very small earlier. This temple has been rebuilt many times in the last two-three decades. In 1991, the Maharashtra government provided 20,000 square feet of land for the grand construction of this temple. Presently the building of Siddhivinayak temple is 5 storeyed and there is discourse house, Ganesh museum besides hospital on the second floor where patients are given free treatment. On this floor is the kitchen, from where a lift comes directly to the sanctum sanctorum, the priests bring the prasad and laddus made for Ganapati through this route.

Sanctum

The 'Gabhara' or sanctum sanctorum of the newly constructed temple has been built in such a way so that more and more devotees can have direct darshan of Ganapati from the Sabha Mandap. The galleries of the first floor have also been made in such a way that devotees can have direct darshan from there as well. The Ashtabhuji sanctum is about 10 feet wide and 10 feet high. On the platform of the sanctum sanctorum there is a beautiful silver pavilion with a golden pinnacle, in which Siddhivinayak sits. There are three doors for the devotees to enter the sanctum sanctorum, on which the figures of Ashtavinayak, Ashtalakshmi and Dashavatar are painted.

Every Tuesday in the Siddhivinayak temple, a large number of devotees fulfill their wishes by having darshan of Ganapati Bappa. Every year Ganpati Puja Festival is celebrated here from Bhadrapada Chaturthi to Anant Chaturdashi with a special ceremony.

Siddhivinayak Temple receives donations of around 100 million - 150 million every year, making it the richest temple trust in Mumbai. In 2004, the Siddhivinayak Ganapati Temple Trust, which runs the temple, was accused of mismanagement of donations. As a result, the Mumbai High Court appointed a committee under the chairmanship of retired judge VP Tipnis to examine the trust's paddy and probe the allegations. Said that- The most shocking aspect of this case is that no law or principle is followed for particular institutions. In 2006 the Mumbai High Court directed the state government, the Siddhivinayak Temple Trust and petitioner Kewal Semlani to prepare "suggestive guidelines" for utilizing the temple's trust funds.

सिद्धिविनायक, मुंबई । Shree Siddhivinayak Ganapati Temple

23 comments:

  1. सिद्धिविनायक मंदिर के बारे में बहुत सुना था। आज इसके बारे में विस्तृत जानकारी मिली।

    सिद्धिविनायक गणपति भगवान की जय 🙏🙏🙏

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  2. जय गणपति बप्पा

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  3. जय हो गजानन जी की 🙏🏻

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  4. गणेशोत्सव के दौरान गणेश जी की बहुचर्चित मंदिर की विस्तृत जानकारी मिली.. अपनी मान्यताओं के साथ-साथ अभिनेता, राजनेता के जाने से यह मंदिर अक्सर सुर्खियों में रहता है.. good timing & information 👌👍

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  5. सिद्धिविनायक मंदिर के विषय में विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की गई है। माया नगरी में होने की वजह से और नेताओं तथा अभिनेताओं के जाने से यह मंदिर हमेशा सुर्खियों में रहता है। पहले मुझे लगता था कि यह अष्टविनायक मंदिर में से ही एक है। Thanks for sharing

    मोदक प्रिय मृद मंगल दाता।

    विद्या बारिधि बुद्धि विधाता।।🙏🙏🙏🙏🙏

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  6. गणपति बप्पा मोरया

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  7. मुंबई दो बार गया लेकिन शायद बुलावा नहीं था तो दर्शन नहीं कर पाया। देश के गिने चुने मंदिरों में से एक है सिद्धिविनायक मंदिर। आज इस मंदिर की विस्तृत जानकारी मिली
    ॐ गं गणपतये नमः

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  8. Jai ho .… Mumbai ke dhani bhagwaan

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  9. मुम्बई के सिद्ध विनायक मंदिर की प्रसिद्धि चहुँ ओर है। यह मंदिर vip लोगों के दर्शन की वजह से भी हमेशा चर्चित रहता है।
    विघ्न विनाशक गणपति नाम
    आदि नारायण भगवान।।

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  10. सिद्धविनायक मंदिर देश के प्रमुख मदिरों में एक है।यह महाराष्ट्र में स्थित है।

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  11. siddhivibayak mandir to aaye din charcha me rahta hai..kabhi jane ka awsar to nhi mila..par iski mahima bahut suni hai

    jai ganpati bappa🙏🙏🙏

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