इतवार (Sunday)
🍂🍂"उम्मीद और विश्वास का छोटा सा बीज,
खुशियों के विशाल फलों से बेहतर और शक्तिशाली है "🍂🍂
"अश्रु नीर"
प्रिय इन नयनों का अश्रु नीर !
दुःख से आविल सुख से पंकिल
बुद बुद से स्वपनों से फेनिल,
बहता है युग युग से अधीर
जीवन पथ का दुर्गमतम तल,
अपनी गति से कर सजल सरल
शीतल करता युग तृषित तीर !
इसमें उपजा या नीरज सित,
कोमल कोमल लज्जित मीलित,
सौरव से लेकर मधुर पीर !
इसमें ना पंक का चिन्ह शेष,
इसमें ना ठहरता सलिल लेश,
इसको न जगाती मधुप भीर !
तेरे करुणा कण से विलसित,
हो तेरी चितवन से विकसित,
छू तेरी श्वासों का समीर !
महादेवी वर्मा
🍁🍁"ऐसे काम करो जिससे लोगों को लगे
कि आपको जीतने की आदत है"🍁🍁
आप स्वयं का लिखा करिये प्लीज़
ReplyDeleteदूसरों को पढ़ने के लिये नेट है ही
ReplyDeleteWish u a very happy Sunday 🌹🌹
ReplyDeleteBeautiful pic 😍😍😍😍 with nice poem👏👏👏
Happy Sunday🤗🤗 ...Lovely smile💖💖 n nice poem
ReplyDeleteHappy Sunday
ReplyDeleteHappy sunday
ReplyDeleteHappy sunday
ReplyDeleteशुभ एवम मंगलमय रविवार
ReplyDeleteHappy Sunday 🤩
ReplyDeleteHappy Sunday 🌹🌹
ReplyDeleteVery beautiful pic😘😘❤️
ReplyDeleteVery beautiful pic😘😘❤️
ReplyDeleteHappy Sunday 🌹🌹
ReplyDeleteशुभ रविवार।
ReplyDeleteमहीयसी महादेवी जी की पंक्तियां बेजोड़ हैं।
Nice poem
ReplyDeleteHappy sunday
ReplyDeletev nice
ReplyDeleteHappy sunday
ReplyDeleteप्रकृति के माध्यम से वर्णन करती कविता।शुभ रविवार ।
ReplyDeleteWaow nice hpy sunday
ReplyDelete💖nice
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteBeautiful smile..
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteWow... beautiful 🌹🌹👌
ReplyDeleteMahadevi Verma ki achi kavita 👌👌