इकट्टारसो मंदिर/चौसठ योगिनी मंदिर मुरैना/Ekattarso Mahadev Mandir

इकट्टारसो मंदिर/चौसठ योगिनी मंदिर, मुरैना

चौसठ योगिनी मंदिर ग्वालियर से 40 किलोमीटर मुरैना जिले के पास, मितावली गांव में है। 1323 ईस्वी के अनुसार (विक्रम संवत्1383) यह मंदिर कच्छप राजा देव पाल द्वारा बनवाया गया था। कहा जाता है कि मंदिर सूर्य के गोचर के आधार पर ज्योतिष और गणित में शिक्षा प्रदान करने का स्थान था। 

इकट्टारसो मंदिर/चौसठ योगिनी मंदिर मुरैना/Ekattarso Mahadev Mandir

यह मंदिर 101 खंभों पर टिका हुआ है और इसमें 64 कमरे हैं।हर कमरे में शिवलिंग के साथ देवी योगिनी की मूर्तियां स्थापित थीं, और इन्हीं मूर्तियों के चलते इस मंदिर का नाम चौसठ योगिनी मंदिर पड़ा। लेकिन कुछ मूर्तियां चोरी हो गईं और अब बची हुई मूर्तियों को दिल्ली के संग्रहालय में रखा गया है।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इस मंदिर को प्राचीन ऐतिहासिक स्मारक घोषित किया है।संसद भवन का डिजाइन उस दौर के मशहूर ब्रिटिश आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस ने 1912-13 में इसी मंदिर को आधार बनाकर बनाया था।  इसका निर्माण ब्रिटेन के ही वास्तुविद सर हर्बर्ट बेकर की निगरानी में 1921 से 1927 के बीच हुआ था। 1927 में इसका उद्घाटन भारत के तत्कालीन वायसराय लार्ड इरविन ने किया था। भवन का निर्माण अंगेजों ने दिल्ली में नई प्रशासनिक राजधानी बनाने के लिए किया था। आजादी के बाद यह संसद भवन बन गया। 13 मई 1952 में इस भवन में पहली राज्यसभा लगी और इसे संसद भवन कहा जाने लगा। 

इकट्टारसो मंदिर/चौसठ योगिनी मंदिर मुरैना/Ekattarso Mahadev Mandir

 मंदिर से ही संसद का डिजाइन लिया गया है यह इतिहास में कहीं या फिर संसद में नहीं लिखा गया, लेकिन इस बात से किसी ने इंकार भी नहीं किया। चौसठ योगिनी मंदिर और संसद के गोलाकार डिजाइन से लेकर कई निर्माण एक जैसे हैं। 

चौसठ योगिनी मंदिर 101 खंभों पर और संसद भवन 144 मजबूत स्तंभ पर टिका है। दोनों ही गोलाकार संरचना के हैं ‌ चौसठ योगिनी मंदिर में 64 कक्षाएं और संसद भवन में 340 कक्ष हैं।इस मंदिर के बीच में एक विशाल कक्ष है जिसमें बड़ा शिव मंदिर है उसी तरह संसद भवन के बीच में विशाल हाल है। 

इकट्टारसो मंदिर/चौसठ योगिनी मंदिर मुरैना/Ekattarso Mahadev Mandir

यह मंदिर अपने समृद्धि काल में तंत्र साधना का भव्य आधार था। यहां भगवान शिव के साथ मां काली की साधना कर योगिनियों को जागृत किया जाता था। आज भी स्थानीय निवासी यहां रात में ना रुकने की सलाह देते हैं। आज भी कुछ तांत्रिक सिद्धियां प्राप्त करने के लिए  यज्ञ करते हैं। इस मंदिर का नामकरण इसके 64 कमरे और हर कमरे में शिवलिंग होने के कारण हुआ था।

 English Translate

Ekattaraso Temple / Chausath Yogini Temple, Morena

The Chausath Yogini Temple is in Mitwali village, 40 km from Gwalior, near Morena district. According to 1323 AD (Vikram Samvat 1383) this temple was built by Kachhapa king Dev Pal. The temple is said to have been the place to impart education in astrology and mathematics based on the transit of the Sun.

इकट्टारसो मंदिर/चौसठ योगिनी मंदिर मुरैना/Ekattarso Mahadev Mandir

The temple rests on 101 pillars and has 64 rooms. In each room there were statues of Goddess Yogini with a Shiva lingam installed, and it is because of these sculptures that this temple was named Chausath Yogini Temple. But some idols were stolen and the remaining idols are now kept in the Delhi Museum.

The Archaeological Survey of India has declared this temple as an ancient historical monument. The design of the Sansad Bhavan was built by the then famous British architect Edwin Lutyens in 1912-13, on the basis of this temple. It was built between 1921 and 1927 under the supervision of the British architect Sir Herbert Baker. It was inaugurated in 1927 by Lord Irwin, the then Viceroy of India. The building was built by the British to form the new administrative capital in Delhi. After independence it became the Parliament House. On 13 May 1952, the first Rajya Sabha started in this building and came to be known as the Parliament House.

इकट्टारसो मंदिर/चौसठ योगिनी मंदिर मुरैना/Ekattarso Mahadev Mandir

 The design of the Parliament has been taken from the temple itself, it was not written anywhere in history or in Parliament, but no one has denied this. Many constructions are the same, from the circular design of the Chausath Yogini Temple and Parliament.

The Chausath Yogini temple rests on 101 pillars and the Parliament House 144 strong pillars. Both are of circular structure. There are 64 classrooms in the Chausath Yogini temple and 340 chambers in the Parliament House. There is a huge chamber in the middle of this temple which has a big Shiva temple, in the same way there is a huge hall in the middle of the Parliament building.

This temple was the grand foundation of tantra cultivation in its prosperity period. Here Yoginis were awakened by performing the sadhana of Mother Kali with Lord Shiva. Even today the local residents recommend not to stay here at night. Even today some tantric perform yajna to attain siddhis. The temple was named because of its 64 rooms and Shivling in every room.

इकट्टारसो मंदिर/चौसठ योगिनी मंदिर मुरैना/Ekattarso Mahadev Mandir

20 comments:

  1. Wow...great information...

    Har Har Mahadev 🙏🙏

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  2. कभी सुना नहीं, नई जानकारी। मंदिर अपने आप में अनोखा है। अच्छी जानकारी जय महाकाल

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  3. ये अत्यंत गर्व की बात है कि अपने देश की स्थापत्य और वास्तुकला अत्यंत समृद्धशाली थी, तुम्हारे ब्लॉग के माध्यम से एक से बढ़कर एक देश के धरोहर के विषय में पढ़ने और जानने को मिला... इस मंदिर के विषय में पहले जानकारी नहीं थी...
    👌👌👌👍👍👍👍

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  4. ब्लॉग के माध्यम से अच्छी जानकारी मिली

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  5. East or West Bharat is the best...Do Keep sharing the history of such hidden monuments and legacy of our great culture & civilization. You are simply the best blogger.Best of luck ever.

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  6. बहोत ही अच्छी जानकारी!!

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  7. Waoo....Great temple👍👍🙏🙏

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  8. ye to pta hi nahi tha.. new information

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  9. 64 योगिनी का एक अन्य मंदिर जबलपुर से भेड़ाघाट जाने के बीच मे है।लेकिन मुरैना के मंदिर का वास्तु शिल्प बेजोड़ है।

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  10. बहुत ही प्रयास है

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  11. Yaha ja chuka hu bhut sundar hai

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  12. Another fact that proves we indians are great above....

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  13. Gazab ...👏👏👏👏👏👌👌👌👌👌👌

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