राज्य के कौवों की गिनती
उनके मन में यह सवाल आया कि उनके राज्य में कुल कितने कौवे होंगे? बीरबल तो उनके साथ ही बगीचे में टहल रह थे, तो राजा अकबर ने बीरबल से ही यह सवाल कर डाला और पूछा।
बताओ बीरबल, आख़िर हमारे राज्य में कितने कौवे हैं? तुम तो बड़े चतुर हो, तुम्हें हर सवाल का उत्तर पता होता है.
यह सुनते ही चालाक बीरबल ने तुरंत उत्तर दिया कि महाराज, हमारे राज्य में कुल 95,463 कौवे हैं, आप चाहें तो गिनती करवा सकते हैं।
महाराज अकबर इतने तेज़ी से दिए हुए उत्तर को सुन कर हक्का-बक्का रह गए।
महाराज ने बीरबल से दोबारा सवाल किया- अगर तुम्हारी गणना के अनुसार कौवे ज़्यादा हुए तो?
बिना किसी संकोच के बीरबल बोले, हो सकता है महाराज, किसी पड़ोसी राज्य के कौवे हमारे राज्य में घूमने आये हों।
राजा फिर बोले- और अगर गिनती में कम कौवे हुए तो? बीरबल ने फिर तपाक से उत्तर दिया- महाराज, हो सकता है हमारे राज्य के कुछ कौए अपने पड़ोसीऔं से मिलने घूमने चले गए होंगे।
राजा फिर बोले- और अगर गिनती में कम कौवे हुए तो? बीरबल ने फिर तपाक से उत्तर दिया- महाराज, हो सकता है हमारे राज्य के कुछ कौए अपने पड़ोसीऔं से मिलने घूमने चले गए होंगे।
Count of state ravens
By nature, emperor Akbar was a kind-hearted man. On one evening, when Akbar and Birbal were on their daily walks in the palace gardens, they noticed the lurching of a host of crows on the garden trees. Suddenly Akbar got a thought:"How many crows are there in my kingdom?"
This thought burrowed into his mind so deeply that he needed an answer from Birbal. As we all know, administrators evince greater interest in the compilation of data for their future plans and execution. Birbal had wit enough to realize what to do in such emergency.
He readily answered: "There are ninety five thousand four hundred and sixty-three crows in the kingdom".
Amazed at his quick response, Akbar tried his best to outwit him: "What if there be more crows than you answered?" Without hesitation, Birbal replied: "Then some crows must have visited from neighbouring kingdoms"
"And what if there be less crows?" Demanded Akbar. And then came Birbal's instant answer! "Then some crows from our kingdom must have gone on vacation to other parts"
Emperor Akbar, thereby, realized that Birbal's wit was a hard nut to crack. Nevertheless, he realized his administrative folly on statistical data.
Moral/शिक्षा
शांत मन से विचारों को सुनने और सोचने से जीवन के हर प्रश्न का हल (उत्तर) निकल सकता है।❤
हमारे जीवन में ऐसे कई सवाल आते हैं जिनका कोई मतलब नहीं होता है, तो हमें भी ऐसे ही तत्परता से उनसे पीछा छुड़ा लेना चाहिए, सही पाठ है 😊👍
ReplyDeleteमन को शांत रखते हुए काम करना चाहिए ��������
ReplyDeleteinteresting...
ReplyDeleteबहुत अच्छा
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteउम्र चाहे जितनी हो जाये, बाल कथाएं उतना ही मनोरंजन करती हैं जैसे बचपन में करतीं थीं, बहुत रोचक और शिक्षाप्रद कहानी,बहुत खूब
ReplyDeleteThank you Sudha mam, चाहे टॉपिक जो भी डालें,आपका कमेंट पढ़ के बहुत मोटिवेशन मिलता। शुरू से ही आपका साथ और आशीर्वाद मिला।
Deleteथैंक यू,तुम्हारे ब्लॉग होते ही तारीफ़े काबिल हैं क्योंकि जहाँ कहानियाँ मनोरंजन करती हैं वहीं आयुर्वेदिक नुस्खे बहुत सदुपयोगी होते हैं
Deleteतुम्हारे ब्लॉग का बेसब्री से इंतजार रहता है
ReplyDeleteचलिए... किसी को तो रहता😊
DeleteVery nice
ReplyDeleteये किस्सा बहुत रोचक है। मनोरंजन के साथ साथ शिक्षा भी मिलती है।
ReplyDeleteBade hi fursat ha ye akbar birbal...
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteOne of the most cunning story of akbar birbal..have tried this many times in my life 😅😅😅
ReplyDelete😜😆😜😆
Deleteबहुत अच्छी जानकारी
ReplyDeleteVery interesting ...
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