Mountain (पर्वत )

Mountain (पर्वत )Mountain (पर्वत )


 पर्वतों की ऊंची ऊंची चोटियां सदैव से ही मनुष्य के आकर्षण का केंद्र रही हैं । अगर इन चोटियों पर हिम का भी वास हो तो फिर क्या कहने। प्रातः काल जब भगवान भास्कर मुस्कुराकर अपनी सुनहरी प्रथम रश्मियां इस पर डालते हैं तो उस वक्त इसकी  अद्भुत छटा देखते ही बनती है। पर्वतों के आंचल में ही एक तरफ कल-कल करती नदियां खेलती हैं तो दूसरी तरफ हिम भी यहां ठिठोली करती है। कितने ही आंधी तूफान आ जाएं पर पर्वत अपनी जगह पर अविचल और अडिग खड़ा  मुस्कुराता रहता है । पर्वत सदियों से हमारे सौंदर्य और संरक्षण के प्रतीक हैं। कभी आप पर्वतों के सौंदर्य को पास से निहारिये ,आप विश्वास मानिए उनसे आप नजरें नहीं हटा पाएंगे ।

Mountain (पर्वत )

 चार पंक्तियाँ पर्वतों से शिक्षा के रूप में -
 " इतने ऊंचे उठो कि
        छू लो पर्वत की चोटियां
 रहो शांत और स्थिर सदा
       हराओ  संकट की आंधियां"।❤

Coronavirus: mountain

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Mountain

  The high peaks of the mountains have always been the center of attraction of man.  What to say if snow is also inhabited on these peaks.  In the morning, when Lord Bhaskar smiles and puts his golden first rashi on it, then at that time its amazing shade is made.  On the one side of the mountains, only the rivers play tomorrow and tomorrow, on the other side, the snow also chills here.  No matter how many storms come, the mountain keeps smiling and standing steadfast in its place.  


Mountain (पर्वत )

Mountains have been a symbol of our beauty and protection for centuries.  Sometimes you admire the beauty of the mountains from near, you believe that you will not be able to remove eyes from them.


  Four lines as education from the mountains -
  "Get up so high that
         Touch the mountain peaks
  Stay calm and steady forever
        Beat the storms of distress ".

17 comments:

  1. प्रकृति के अनुपम सौंदर्य के साथ साथ नैतिक मूल्यों की सदुपयोगी शिक्षा

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  2. बेशक पर्वतों की सुषमा नैसर्गिक है।परंतु आज मानव अपने क्षणिक सुख और विकास के नाम पर इनका दोहन कर रहा है। इनका संरक्षण आवश्यक है। वैसे आपका लेख अद्भुत है।

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  3. वास्तव में, हमारा ऐसा ही व्यक्तित्व होना चाहिए
    सुन्दर लेख,❤️

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  4. पर्वत कहता शीश उठाकर
    तुम भी ‌‌‌‌‌‌ऊंचे बन जाओ
    सागर कहता है ल‌हरा‌कर
    मन में गहराई लाओ
    ये ब्लॉग पढ़ने के बाद मुझे अनायास ही बचपन में पढ़ी हुई ये पंक्ति याद आ गई 😊😊

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  5. पर्वतों से आज मैं टकरा गया...

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  6. I like hills and mountains ## beautiful

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  7. तन का कठोर,कोमल मन है।
    जो भला सभी का करता है,
    यह धरती धन से भरता है।।
    खिल रहे फूल जिस पर अपार,
    जिसके सिर पर है देवदार।।
    है वर्फ सजी जिसके सिर पर,
    ऊंची चोटी छूती अम्बर।।
    जो ऊपर बढ़ता जाता है,
    कल - कल झरनों में गाता है।
    नदियों को देता जो जीवन,
    नदियाँ निकली धारा बन कर।
    यही तो पर्वत है।
    🙏🙏🙏🙏🙏

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  8. प्रकृति के अनुपम सौंदर्य पर जीवंत लेखन और सजीव चित्रण

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